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________________ ३. इसलिये दोनों के समझने में दिक्कत नहीं है। ईस्वी सन से दसहजार अधिक होने का अर्थ या, कि, वी. सो. सन् को दस हजार में से बटादेने ले इतिहास मंचन निकल आता है या इतिहास संवत् को दस हजार में से पटाने से बी. सी. (ईसापूर्व ) सन निकल आता है । १० वी.सी. का अर्थ १००००-५००-२५५० इतिहास संवत हुश्रा । १४३ निकाल संवत् का अर्थ ५२७ वी. सो. हुआ । म. महावीर का निर्माण 25 बी. सा. में हुआ था अर्थात् तिहास संवत १४७३ में हुआ था। अन्तस्तल में जहां जो संवत् दिया हुआ है उले दमाजार में ने घटा देने से जो अंक निकले उसे उतने बी. सी. समझना चाहिये। तिथियों के लिये नये संसार की नागयों का नया मानव भाषा के नये संसार के महीनों का अपयोग किया गया है। चूंकि इतिहास संवत् 1 जनवरी संशुमनामलिय इसके साथ चैत्र वंशाख आदि भारतीय मदीना का उपयोग ना किया गया और न जनवरी आदि यूरोपीय महीनों का उपयोग करना ठीक मालम हुआ। इतिहास संयत के. नायरान संवत के महीनों का उपयोग ही ठीक समझा। सत्याश्रम की तरफ से प्रतिवर्ष एक निधि प्रशासन होता है जिसमें इतिहास संवत के माहीना भी निधियों का यूरोपीय महीनों और तारीखा तथा भारतीय टीना और तिथियों का मेन सताया जाता है। अब से जाना जाम कि इस वर्ष इतिहास संवत के किस महीने शरीर को, यूरोपीय किस महीने की कोनमी नार्गग्य मार्ग किस महीने के किस पक्ष की कौनसी निधि बानी ! सब पत्र का झुपयोग करने से अन्तस्तल में दी हुई नारीमा माटी परिचय मिल सकता है। इतिहाल संवत् के महीने सय बगर होने ।
SR No.010410
Book TitleMahavira ka Antsthal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyabhakta Swami
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1943
Total Pages387
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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