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________________ 4) [ १७ उसके आधार पर महावीर जीवन के भीतर बाहर का चित्र संयोगपूर्ण तैयार किया जासकता है। कार्य कठिन अवश्य है और काफी कठिन है पर असम्भव नहीं है । जुन अन्यद्धालुओं को इसने सन्तोष न होगा जिनका विश्वास है कि महावीर स्वामी तो कुछ सोचते विचार होन थे, उनके मन में बड़ी-बड़ी दुर्घटना के लामने कोई चिन्ता के भाव आते ही न थे | उनने म. महावीर को ऐसा फोनोग्राफ बना दिया है जो अनादि काल से रक्खे हुए रिकार्ड के नये बजाया करता है, पर दुनिया की घटनाओं से जिसका कोई ताल्लुक नहीं है । अन्वश्रद्धालु लोग इसमें म. महावीर की महत्ता देखते है पर इससे म. महावीर का व्यक्तित्व बिलकुल नए होजाता है और इससे उनकी वास्तविक महत्ता नष्ट होती है। : जिसके हृदय में दुनिया को दुःखी देखकर करुणा के भावन आते हो, संसार के दुःख दूर करने की चिन्ता न पैदा होती हो. दम्भयों ढोंगियों और ठर्गों के कुकार्यों का किसी न किसी रूप में विरोध करने का प्रयत्न न होता हो, अपने शिष्यों और अनुयायिओं के जीवन को देखकर उन्हें सुधारने की जो कोशिश न करता हो ऐसे आदमी को महामानव जगदुद्धारक आदि कैसे कह सकते हैं । पर अन्धश्रदालुओं को यह असंगति नहीं दिखती। फिर अन्धश्रद्धालुओं की मान्यता बिलकुल ववैज्ञानिक और अविश्वसनीय है। वे अपने भोलेपन के कारण म. मा के व्यक्तित्व को कितना भी नष्ट करें पर उनका जीवन-चि इतना अधिक उपलब्ध है, उनके फार्णे का ब्यौरा भी इतना अधिक हैं कि अन्धश्रद्धालुओं की बातें हंसकर ना देने नायक ही रहजाती है। समझदार लोग महामानव महावीर का जीवन. उनके हृदय की विशालता, और समयसमय पर उसमें बाये हुए तूफानों को देख सकते हैं ।
SR No.010410
Book TitleMahavira ka Antsthal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyabhakta Swami
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1943
Total Pages387
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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