SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 152
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२२]. महावीर का. अन्तस्तल दूसरा वोला-देवार्य तो परमशान्त परम दयालु मालूम होते हैं वे किसी को क्या.. सतायेंगे ? हां, यह-होसकता है कि कोई देव उनका चैरी,हो और वह बदला लेरहा हो।. .: तीसरा-परम शांत. परस दयालु का वैरी कौन होगा ?. .... दसरा-वैरी इसी जन्म के नहीं होते, पूर्वजन्म के भी होते हैं। हो सकता है कि पहिले किसी जन्म में देवार्य राजा रहे हों और सुनने किसी शेर का शिकार किया हो और कालान्तरं में वह शेर मरकर कोई नागदेव होगया हो जो इस गंगा में रहता हो । देवार्य को देखते ही पूर्वजन्म के स्मरण से वह उपसर्ग करने आया हो। पहिला-तब तो इस देवार्य के पीछे हम सब भी मरेंगे । दसरा-हां. देवायं मरेंगे तो हम भी मरेंगे। पर ऐसे देवार्यों के जितने वैरी होते हैं उससे अधिक भक्त होते हैं। मगर देवार्य का वैरी कोई एक देव उपसर्ग कर रहा है तो दो देव रक्षा को भी आसकते हैं। ..... .... तसरा-सम्भवतः इसीलिये देवार्य निश्चित बैठे हैं। पलपलपर नाच इवने का डर है पर वे आंख बन्द किये इसप्रकार वैठे हैं मानों कुछ हो ही नहीं रहा है। ... दूसरा-दवार्यों की निश्चिंतता देवताओं के भरोसे नहीं होती, परमात्मा के भरोसे होती हैं, जीवन-मरण में समभाव के भरोसे होती है। : यह सब खुसखुसफुसफुस हो ही रही थी कि धीरे धीरे तुफान का जोर घटने लगा और नौका बढ़ने लगी । सवने छुटकार की सांस ली । मल्लाह जल्दी से जल्दी नाव पार लेजाने लगे... अव.. उन · लोगो की चर्चा को काफी बल आगया। . .
SR No.010410
Book TitleMahavira ka Antsthal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyabhakta Swami
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1943
Total Pages387
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy