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________________ उ षोडस अलंकारों से विभूषित युवराज वर्द्धमान (2) यद्यपि श्रीवर वर्द्धमान की है किशोर प्रस्तुत प्रतिमूर्ति । तो भी इसे न समझा जावे श्वेताम्बर भूषण की पूर्ति || (२) क्योकि झलकती इसमे उनकी अनासक्त गृहस्थावस्था | इसको त्याग दिगम्बर मुद्रा धारेगे सौम्यावस्था || (3) अलंकार थे इस प्रकार उन राजकुमार सलौने के । मणि माणिक्य जवाहर हीरे मोती चादी सोने के ॥ (४) शेखर ककण चचल कुडल अगद कर्णफूल केयूर | ग्रैवेयक आलंबक मुद्रा कटीतून मजीर प्रपूर ॥ (५) कटक पदक श्रीगध मध्यवधुर सुन्दरतम आभूषण । पट्टहार युत अलंकार शुभ सोलह करते थे धारण ॥ (घ) अपने जीवन काल मध्य क्या ? पूजे जाते थे युवराज । हाँ उसकी साक्षी मे प्रतिकृति तत्कालीन मिली है आन || (७) राज मुकुट आभूषण मडित वर्द्धमान जयवन्त रहे । ध्यान मग्न त्रिशत वर्षीय युग कुमार जीवन्त रहे || ( ४६ )
SR No.010408
Book TitleMahavira Chitra Shataka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalkumar Shastri, Fulchand
PublisherBhikamsen Ratanlal Jain
Publication Year
Total Pages321
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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