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________________ ५२ त्रिपृष्ठ नारायण नर्क से निकलकर सिंह पर्याय मे ५३ क्रूर हिंसक सिंह प्रथम नरक मे ५४ चारण ऋद्धिधारी मुनियो द्वारा सिंह को उद्बोधन ५५ सिंह सम्बोधन ५६ सिंह सवोधन + ५७ विवेकी सम्यक्त्वी सिंह पश्चाताप की मोन मुद्रा मे ५८ सौधर्म स्वर्ग का देव सिंह केतु अर्हत्मक्ति मे लीन ५६ सिंह केतु देव द्वारा पत्र मेरु की वदना ६० सिंह केतु देव का जीव कन कोज्जवल विद्याधर ६१ कनकोज्जवल युवराज वैराग्य की ओर ६२ लान्तव स्वर्ग की विभूति से विभूषित कनकोज्जवल का जीव ६३ राजा हरिषेण द्वारा दिगम्बरत्व ग्रहण ६४ हरिषेण मुनिश्री का जीव महाशुक्र स्वर्ग मे ६५ हरिषेण का जीव चक्रवर्ती प्रियमित्र कुमार ... : ... ... .. ६६ निर्ग्रन्थ तपस्वी प्रियमित्र कुमार ६७ प्रियमित्र कुमार का जीव सहस्रार स्वर्ग मे अध्ययन रत ६८, युवराज नंद (सहस्रार स्वर्ग का देव ) द्वारा दीक्षा ग्रहण ६६ नन्द मुनि द्वारा षोडस कारण भावनाओ का चित्तन ७०. नद मुनि का जीव तत्त्व चर्चा मे तल्लीन अच्युत स्वर्ग मे ७१ महावीर गर्भावतरण ( माता के सोलह स्वप्न ) ७२ वीर शिशु को लेकर शची का सौर भवन से निर्गमन ७३ वीर प्रभु के जन्माभिषेक की शोभा यात्रा ... ... ७४ नवजात महावीर श्री के जन्माभिषेक की मंगल वेला ७५ अपूर्व अध्यात्म प्रभाव सन्मति नाम करण ७६ आमली क्रीडा मे रत राज कुमार वीर श्री की सगमदेव द्वारा परिक्षा ७७ थैया छूने की क्रीडा मे रत मायावी सगम देव और वर्द्धमान कुमार ... ८८ ८६ ६० १ ६१ अ ६१ व ६२ ३ ४ ६५ Tදි ६७ ६८ && १०० १०१ १०२ १०३ १०४ १०५ १०६ १०७ १०८ १०६ ११० १११
SR No.010408
Book TitleMahavira Chitra Shataka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalkumar Shastri, Fulchand
PublisherBhikamsen Ratanlal Jain
Publication Year
Total Pages321
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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