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________________ १०८ एक को मिलता नही खाने, दूसरा खाने के कारण मर रहा है । "पाट सकता 'वीर' का आदर्श ही, अर्थ के वैषम्य की खाई गहन खाई गहन है ।" आज के संत्रस मय ससार मे, महावीर का सन्देश ही ऊषा किरण है ॥ (७) जन्म से कोई नही छोटा वडा, कर्म ही नर श्रेष्ठता की है कसौटी | एक जैसी आत्मा सव प्राणियो में, हो किसी की देह लम्वी या कि छोटी ॥ प्यार तुम बाटो सभी बाहु फैला कर गले सवको लगाओ । तुम किसी के प्राण विश्व कल्याणी अहिंसा की सुखद लोरी सुनाओ || सर्वोदयी सिद्धान्त कहता, आइये छोटे-बडे सबको शरण है ।" आज के सत्तास मय ससार में, महावीर का सन्देश ही ऊषा किरण है ॥ घातो, मत को,
SR No.010408
Book TitleMahavira Chitra Shataka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalkumar Shastri, Fulchand
PublisherBhikamsen Ratanlal Jain
Publication Year
Total Pages321
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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