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________________ सत्रहवा सगे। ... ... . •iwwiviariwirinewmaichrvawwwwvvvidioinin...rue सुधा धवलित (अमृत समान धवल. अथवा कलई किया हुआ) महलमें कोमल हंसतूल शय्यापर सुखसे सोई हुई प्रियकारिणीने रात्रिके पिछले प्रहरमें, जिनराजकी उत्पत्तिकै सूचक जिनको कि भयगण नमस्कार करते हैं ये निम्नलिखित स्वप्न देखें ।। ३७ ॥ मदनलसे गोला हो गया हैं कपोलमूल जिसका ऐसा ऐरावत हस्ती । अत्यंत उन्नत, चन्द्र समान धवल वृषभ, पिंगल हैं नेत्र निसकें और उज्ज्वल हैं सटा जिसकी ऐमा शब्द-गर्जना करता हुआ-उग्र मृगरान । बनगन निसका हर्षसे अभिषेक कर रहे हैं ऐसी लक्ष्मी । घूम रहे हैं. अलिकुछ-भ्रमरसमूह जिनपर ऐसी 'आकाशमें लटकती हुई दो.. मालायें । नष्ट करदिया है अन्धतम जिसने ऐसा पूर्ण चन्द्र । कमलोंको प्रसन्न करता हुआ बाल-सूर्य । निर्मल मेलमें मंदसे क्रीड़ा करता हुआ मीनयुगल ।। ३९ ॥ जिनके मुख फलोंसे ढके हुए हैं ऐसे कमलोंसें औवृत दो घट । कमलोंसे रमणीय और स्फटिक समान स्वच्छ है जल जितका ऐमा सरोवर । तरंगोंसे.जिसने दिग्वलयको ढक दिया है ऐसा समुद्र । मणियोंकी किरणोंसे विभूषित कर दिया है दिशाओंको जिसने ऐसा सिंहासन ॥ ४० ॥ जिस पर बनायें फहरा रही हैं ऐसा बड़ा भारी लम्बा चौडा देवोंका विमान मत्त नागिनियोंका है निवास जिसमें ऐसा नागमान । जिसकी किरणजाल चारोतरफ फैल रही है ऐसी 'आकाशमें रत्नराशि । कपिल बनादिया है दिशाओंको निसने ऐसी . निर्धूम अग्नि ॥ ४१ ॥ ... प्रियंकारिणीने पुत्रके मुखकें देखने का है कौतुक निसको ऐसे सुपालसे ये स्वप्न समामें कहे । प्रमोदभर-हर्षके अतिरेकसे विह्वल
SR No.010407
Book TitleMahavira Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhubchand Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages301
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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