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________________ महावीर चरित्रं । . . . . . rammmmmmmmmmmmmmmmmernamr.umariwowwwwwwrementiremiunrin . : उनोदर तप करता था ॥ २४ ॥ भूखसे कृष हुए भी उन मुनिने अभिलाषाओंके प्रसारको दो तीन. मकानोंमें जानकी अपेक्षा उचित और विधियुक्त वृत्तिपरिसंख्यान तपके द्वारा अच्छीतरह रोक लिया. ॥ २५ ॥ जीत लिया है अपनी इन्द्रियोंकी चपलताको निसने ऐसे . उस मुनिने रस परित्याग तपको धारण कर हृदयमें से नियमसे क्षो... . भका प्रसार करनेवाले कारणोंको रोक दिया ॥ २६ ॥ वह समर्थ- : बुद्धि ध्यानसे परिचित श्रेष्ठ चौथ व्रतकी रक्षा करने के लिये 'जहाँ · जन्तुओंको बाधा नहीं होती ऐसे एकांत स्थानोंमें शयन- आतन. । और स्थिति-निवास करता था ॥ २७ ॥ अचल है धैर्य निसा ऐसा वह मुनि दुःसह ग्रीष्मऋतुमें तपोंके द्वारा-पस्या करते हुए ... सूर्यके सम्मुख रहता-आतापन योग धारण करता था। जिसने __ अपने शरीरसे रुचिको छोड़ दिया है ऐसे महापुरुषको यहाँपर संता- . ... पका कारण क्या हो सकता है ॥ २८ ॥ वर्षाऋतु अति संघन.. .. मेघ समूहसे वर्षते हुए जलसे भींन गया है शरीर जिसका ऐमा.. भी वह मुनि वृक्षोंके मूलमें निवास करता था। अहो! निश्चल और .:. प्रशांत पुरुषोंका चरित्र अद्भुतताका ठिकाना है ॥ २९ ॥ हिम पड़नेसे मयप्रद शिशिर ऋतुमें बाहर-जंगलमें रात्रिके समय निर्भप. सदाचारका पालन करनेवाला वह योगी शयन-निवास करता था। • क्या महापुरुष दुष्कर कार्य करनेमें भी मोहित होते हैं ?॥ ३०॥ - ध्यान, विनय, अध्ययन, तीनों गुप्तिगं, इत्यादिके द्वारा धारण किया . है महान संबर जिसने ऐसा वह अप्रमत्त योगी उत्कृष्ट तथा अनुपम: . .... 'अंतरंग तपको भी करता था ॥ ३१ ॥ उत्कृष्ट ज्ञानके द्वारा अत्यंत : - निर्मल है बुद्धि जिसकी ऐमा वह साधु तीर्थकर इस नामकर्मकी ...
SR No.010407
Book TitleMahavira Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhubchand Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages301
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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