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________________ [ १६ ] होता गया । अंतमें वैसाख यदि ६ सं० १९७४ को शामके समय सत्रको शोकसागर में डालकर आप स्वर्गवामिनी हुई। · अंतमें उक्त सेठ साहबने आपके नामसे एक अच्छी धर्मशाला बना देनेका निवेदन किया था और आपने यह बात स्वीकार भी करली थी | यह काम योग्य जगह आदि सब सुभीतोंके मिल जानेपर किया जानेवाला है । इन सब कामंक मिवाय आप अंतिम समय में ६१०००) की बड़ी रकम दान कर गई हैं और उसको नीचे लिखे अनुसार बांट गई हैं: १००००) तुकोगंजक मंदिरके ध्रुवफंडमें . १०२२) इंदौर, उज्जैन, विजलपुर आदिके मंदिरोंमें १०१) सिद्धांत विद्यालय, मोरेना १०१) स्याहाद महाविद्यालय, बनारस १०१) महाविद्यालय, मथुरा ५१) ब्रह्मचर्याश्रम, हस्तनापुर १०१) कंचनवाई श्राविकाश्रम, इंदौर ( दो वर्ष में कपड़ा आदि देना ) ६२१) शिखरजी, गिरनार, बड़वानी आदि तीर्थोंमें १०१) बम्बईके मंदिर में उपकरण २००) मालवा प्रांतके मंदिरांमें .५०० ) शास्त्रदान वा कोई ग्रन्थ वांटनेके लिये १०१) समाचार पत्रोंकी सहायतार्थ ३९१३) सम्बन्धियोंको
SR No.010407
Book TitleMahavira Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhubchand Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages301
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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