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________________ Amwww APNAM MMA ११६] महावीर चरित्र। .. और कोई नहीं बस यह सत्कार ही मारता है ।। ७१ ॥ बहुतसे:: गेरूके लगनेसे लाल पड़ जानेवाले जो हाथी निकले वे ऐसे मालूम : पड़ते थे मानो ये सन्ध्यायुक्त मेव ही हैं। उनके ऊपर वध और अवधा क्रियाके धारण करनेवाले वीर योद्धा पुरुप बैठे हुए थे ।। ७२ ॥ युद्धका नगाड़ा बनाया गया, उसी समय सम्पूर्ण मंगल क्रियायें.... भी की गई, प्रजापनि महारान सुन्दर काचोंसे कसे हुए महाभटोंसे वेष्टित-घिरे हुए हाथीपर सवार हुए ॥ ७३ ॥ कवच पहरें. हुए अस्त्र शस्त्रों से सुसज्जिन विद्याधरोंसे वेष्टित जलननटी महारान : जो कि पहरे हुए कवचसे अति सुन्दर मालूम पड़ते थे, निमसे मद चू रहा है ऐसे सार्वभौम-हस्तीपर चढ़कर आगे निकले ॥७४॥..., युद्धलंपट अर्ककीर्ति कवच वगैरह पहरकर अपने ही समान : शिक्षासे दक्ष, निर्मीक, उन्नत, ऊर्मित-महान् , विपुग्नवंश (ऊंचा कुल; पक्षान्तरमें मद्र भद्र आदि ऊंची जाति अथवा चौड़ी पीठ) वाले : दानी (दान देनेवाला; दूसरे पक्षमें मदवाला) हाथीपर सवार हुआ ॥७९॥ : मेरा यह शरीर ही वजका बना हुआ है फिर बख्तर चढ़ानेसे क्या फायदा ? इसीलिये निर्भय विजयने श्रेष्ठ पुरोहितके लाये हुए भी कवचको ग्रहण नहीं किया ॥७६॥ कुंद पुष्पके समान गौरवर्ण वलं... अंजनसमान कांतिके धारक कालमेघ नामक उन्मत्त हाथीपर चढ़ा. हुआ अत्यंत शोभाको प्राप्त हुआ। वह ऐसा मालूम पड़ा मानों : काले मेघके ऊपर पूर्णमासीका चन्द्रमा बैठा है ||७७|| मैं भुवन: मंडलका रक्षण करनेवावाला हूँ। इस रक्षणके-कवचके रहनेसे मेरी क्या बहादुरी रही ! इस अमिमान गौरवसे निर्मीक आदि नारा: यण-त्रिपिष्टने कवचको धारण नहीं किया ॥७६ ॥ जिसके शरी.
SR No.010407
Book TitleMahavira Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhubchand Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages301
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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