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________________ पुरिसत्थकरणनिरयस्स जजणागस्स विस्सुयजसस्स । अत्थि जिणधम्मनिरया कलत्तमिह सुंदरी नाम ॥ ७४ ॥ जाओ तीसे सुंदरविचित्तलक्खणविराइयसरीरो । जेहो सिट्ठो पुत्तो बीओ पुण वीरनामोत्ति ॥ ७५ ॥ को तेसि दाणविन्नाणबुद्धिसुविसुद्धधम्मगेहाण । निउणोऽवि गुणलवंपिहु होज समत्यो य वित्थरि ? ॥६॥ नागो इव पिंडिजइ बभंडकरंडए अमायंतो । जस्स जसोहो सारयनिसिच्छणमयलंछणच्छाओ ॥ ७७ ॥ जिणविवसुपसत्यतित्थजत्ताइधम्मकरणेण । धम्मियजणाण मज्झे जेहि य पत्ता पढमरेहा ॥ ७८ ॥ अन्नाणतण्हसमणी सुयनाणपवा पयट्टिया जेहिं । सयलागमपोत्थयलेहणेण निचंपि भवाण ॥ ७९ ॥ तेहिं तित्थाहिवपरमभत्तिसबस्समुवहंतेहिं । वीरजिणचरियमेयं कारवियं सुद्धवोहकरं ॥ ८० ॥ जमजुत्तमेत्थ भणियं नियमइदुबलओ मए किंपि । तं साहंतु गुणड्डा ओच्छाइयमच्छरा विउसा ॥ ८१॥ छत्तावलिपुरीए मुणिअंबेसरगिहमि रइयमिमं । लिहियं च लेहएणं माहवनामेण गुणनिहिणा ॥ ८॥ नंदसिहिरुसंखे(११३९)वोकंते विक्कमाओ कालंमि । जेट्ठस्स सुद्धतइयातिहिमि सोमे समत्तमिमं ॥ ८३ ॥ निहयसयलविग्योऽणप्पमाह पजुत्तो जयइ जयपसिद्धो वद्धमाणो जिणिदो। तयणु जयइ तस्सासंखसोखेकमूलं, गरुयभवभयाणं नासणं सासणं च ॥ ८४ ॥ RESEAR ororo
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
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