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________________ श्रीमहा० चरित्रे २ प्रस्ताव: ॥ २३ ॥ अह सकयकम्मजणिए सुरतिरिपामोक्खविविहठामि । उववजिऊण बहुसो पसुत्र विवसो दुहाभिहओ १९८ भमिऊण चिरं कालं भर्वमि थूणायसंनिवेसंमि । माहणिमाहणपुत्तो जाओ सो पुरसमित्तोत्ति ॥ १९९ ॥ जुम्मं । तत्थवि चिरकालं निवसिऊण निचिन्नकामभोगो सो । परिवायगदिकखं पडिवजेउण धम्मबुद्धीए ॥ २०० ॥ काऊ तवं विविहं पालिय नियसमयसिद्धधम्मविहिं । सव्वाउयं च धरि ं वावत्तरिपुत्रलक्खाई ॥ २०९ ॥ मरिऊण पुस्तमित्तो तत्तो सोहम्मदेवलोगंमि । दिव्याभरणविभूसियदेहो देवो सप्पन्नो ॥ २०२ ॥ कालकमेण तत्तो चहऊणं चेहर्यमि य निवेसे । अग्गिजोओनामा ( स ) वंभणो ( अह ) समुप्पन्नो ॥ २०३ ॥ सो य चउसद्धिं पुण्यलक्खाई परिपालिऊण आउयं गहिऊण परिवायगदिक्खं मरिऊग ईसाण देवलोगे मज्झिमाऊ तियसो होऊण चिरं कालं भोगे भुंजिऊण आउक्खए चुओ संतो मंदिराभिहाणसंनिवेसे सोमिलस्स बंभणस्स सिवभद्दाए भारियाए पुत्तत्तेण उववन्नोत्ति, कयं च से अग्निभूइत्ति नामं, सो य पत्तो तारुन्नं, अन्नया य तत्थ संनिवेसे परिब्भममाणो समागओ सूरसेणो णाम परिव्वायगो, सो कुसलो सद्वितंतसिद्धते वियक्खणोधम्मक हावकखाणे छेओ परचित्तपरिण्णाणे, तं चागयं सोऊन समागओ बहुजणो, आरद्धो य तेण नियदरिसण तत्तपरूवणापवंचो, आदियहियओ गओ य सहाणं जणो, जाया पसिद्धी, वीयदिवसे अग्निभूई अण्णो य लोओ आगओ तस्स सयासं, कया उचियपडिवत्ती, उवविट्ठो संनिहियपदेसे, कहिओ य तेण महया पगारेण नियदरिसणाभिप्पाओ, हरिसिया सूरसेन परि०, ॥ २३ ॥
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
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