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________________ -994-9592 श्रीगण संतहरिसपसरो वहलरोमंचंचियसरीरो भयवंतं तिपयाहिणापुधगं पणमिऊण थुणिउमारह्यो । कहचिय?- प्रथमेऽणु. महावीरचना जय नवतमालदलसामदेह, तुहु निम्मलगुणरयणोहगेह । व्रते हरि८प्रस्ताव अइदुज्जयनिज्जियकुसुमबाण !, जिण भवियहं दंसियसिद्धिट्ठाण ॥ १॥ वर्मकथाउत्तुंगपओहरहरिणनयणनवजोवणपवणचंदवयण। ॥२९७॥ पइ उग्गसेणसुय जेण चत्ता, तसु एक्कह तुह पर जयइ वत्त ॥ २॥ ओहामियसिंधुसमत्थरयणि, अवयरिए नाह! जायवह भवणि।। चिंतामणिमि पई समुद्दविजओ, सचं चिय जाओ समुद्दविजओ ॥ ३॥ आपूरियनिभरसंखघोस-संखोहियजयजण गयदोस। भुयपरिहंदोलियलच्छिरमण !, सबायरेण सुरपणयचलण! ॥ ४ ॥ तइलोकभवणनिम्मलपईव !, परमायररक्खियसयलजीव!। भवि भवि जिणिंद! तुडं रिट्टनेमि !, अम्हारिस लीयह होज सामि ॥ ५॥ एय एवं थोऊणं पराए भत्तीए जयगुरुं नेमि । हरिसियमणो नरिंदो तयणु निविट्ठो महीवढे ॥६॥ भयवयावि पयट्टिया धम्मकहा, पडिबुद्धा बहवे पाणिणो, गहियनियनियसामत्थाणुरूवाभिग्गहविसेसा गया य है।
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
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