SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 601
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीगुणचंद | महावीरच E ८प्रस्ताव ॥२८९॥ किंवा काही तंपिवि चारित्तावारगं मम कम्मं । कु(दोस्सीलसंगरहियस्स गाढतवसोसियंगस्म ॥ ३१॥ इय तवयणं अवमण्णिऊण सिग्धं गओ समोसरणं । नवरं जयगुरुणाविहु पडिसिद्धो सो तहथेव ॥ ३२ ॥ तहविहु अइरभसवसा अभाविउं भाविरं विरइभंग । भुवणगुरुणो समीचे निवजं लेइ पवजं ॥ ३३ ॥ तो छठ्ठठ्ठमपमुहं कुणमाणो दुकरं तवचरणं । जयगुरुणा सह विहरइ बहिया गामागराईयु ॥ ३४ ॥ पढइ विचि(वि)त्तं सुत्तं परिभावइ निश्चमेव य तदत्थं । गुरुणो मूले निवसइ परीसहे सहइ थिरचित्तो ॥ ३५॥ संजमनिसेवणपरो विसयविरागं परं परिवहतो । आयावइ अणवरयं सुसाणसुन्नासमाईसु ॥ ३६॥ अह अन्नया कयाई एगल्लविहारपडिमपरिकम्मं । काउमणो स महप्पा जाए छहरम पारणगे ॥ ३७॥ मिक्खटाए पविटो एगोऽणाभोगदोसओ सहसा । वेसाए मंदिरंमी पयंपए धम्मलाभोति ॥ ३८ ॥ तो वेसाए सहासं सवियारं जंपियं अहो समण! । मोत्तूण दम्मलाभ न धम्मलाभेण में कजं ॥ ३९ ॥ अहह कहं हसइ ममंपि बालिसा संपयंपि(ति) चिंतित्ता । तेण तवलद्धिणा नेवतणयमायड्डिऊण लहु ॥४०॥ अइपवररयणरासी निवाडिया एस दम्मलाभोत्ति । भणिऊण य नीहरिओ तीए भणिओ य साणंदं ॥४१॥ भयवं! उज्झसु दुक्करतवचरणं कुणसु मज्झ सामित्तं । इहरा चएमि जीयं पुणरत्तं तीए इय वुत्तं ॥ ४२ ॥ भावियमईवि तवसोसिओऽवि विनायविसयदोसोऽवि । कम्मवसा भग्गमणो पडिवजइ तीए सो वयण ॥४३॥ ॥२८९
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy