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________________ ७ प्रस्तावः श्रीगुणचंद 5 महानई, तं च सामी नावाए समुत्तिन्नो समाणो वेलुया पुलिणंसि मुल्लनिमित्तं धरिओ नाविगेहिं, एत्थ य पत्यावे महावीरच दिणद्धसमओ वट्टर, खरं तावति वेलुयं सूरस्स करपहकरा, तीए य संतपद कमलको चora forea | इओ य तस्सेव संखस्स गणराइणो भाइणिजो चित्तो नाग दूधकज्जेण पर्वतराइणो समवे गंतूण नावाकडण पडिनियतो पेच्छय तहट्टियं सामिं, तओ ते दुधयणेहिं बहु तजित्ता मोयावेइ, गहिगं च से करेइ । अहसुसमाहियमणपसरी संरक्खतो चराचरं लोयं । विविहपडियाविसेसे पइदियहं चैव फासतो ॥ १ ॥ कत्थइ निंदिज्जतो उहिंसखलखलजणेण कुविएणं । कत्थइ थुणिजमाणो नमंतसामंततियसेहिं ॥ २ ॥ कत्थइ पागयजीवियविणासखमतिक्खआवयकतो | कत्थइ अणुकूलजणोहविहियपूयामहामहिमो ॥ उभयत्थवि धम्मतुलं व चित्तवित्तिं समं चिय धरतो । विविहार भावनाओ भाविंतो मगर बहाए ॥ ४ ॥ ॥ २२४ ॥ तस्य भगवओ अणेगतवो विहाणनिरयस्स न मणापि कंपिज्जाह मणो पढमुस्लिमानसारसहयारमंजरी - पुंज परिमलमिलंतभमिर भमर भमरोलिरोलरमणीएण पल्लविल्लकंकिल्लिसरलसलाई पमुहदुमसंडे कजाडचेडीनिढालविलुलंतोलयबलरीचलणरंपडदाहिणानिलाडंवरिल्लेण पवरनेत्रत्थकुरंगनिजिजंतचचरीरखुद्दीरिउद्दाममयरद्धएण महुसमएण १ न य पर्यडमायंडमंडलुलसियपवल किरणजालकरालियभुवगंतरालेण तण्हभिभूयवप्पीह गनिवहधोरसरसंछाइयावरसदंतरेण खरसमीरसमुद्धयदुहफरिससक्करुकरुवकमणदुग्गमेण निदाहकालेण २ न य घोरघोसघणाघण शंखराजेन नाविकात् श्री वीरस्थ मोचनं ।। २२४ ॥
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
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