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________________ पइसमयं विहडियजडकडप्पवक्कलगलंतजलकणिया । अंतो विसंति तणुणो जयगुरुणो दुस्सहा धणियं ॥३॥ पयईए चिय माहुब्भवस्स सीयस्स दुस्सहं रुवं । किं पुण परोट्ठदुचेटुवंतरीसत्तिपग्गहियं ॥३॥ पागयनरस्स तारिससीउब्भववेयणाविणिहयस्स । फुट्टइ देहं निरुवक्कमाउयत्ता ण उण पहुणो ॥ ४॥ इय चउजाम रयणि जिणस्स सीओवसग्गसहिरस्स । सविसेसं संलग्गं धम्मज्झाणं भवुम्महणं ॥५॥ तओ तदहियासणेण जायंमि विसेसकम्मक्खए वियंभियं ओहिनाणं, सवं च लोग पासिउमारद्धो, पुषं पुण गम्भसंभवाओ आरम्भ सुरभवकालमित्तो ओही आसि, एक्कारस य अंगाणि सुयसंपयं होत्था, अह कडपूयणा नि कंप भयवंतं वियाणिऊण रयणिविरामंमि पराजिया समाणा उवसंता कयपच्छावाया य भत्तीए पूयं काऊण गया। सट्ठाणं। सामीवि तत्तो निक्खमित्ता भदियं नाम नयरिं छठं वासावासं काउमुवागओ, गोसालगोऽवि मिलिओ हा मासाओ, सामि दद्ण जायहरिसो नमिऊण पायपंकयं पमोयमुवगओ समाणो पुचपवाहेण पजुवासिउं पदचो, सामीवि तत्थ विचित्ताभिग्गहसणाहं चाउम्मासखमणं काऊण वासारत्तपजते बाहिं पारेत्ता गोसालेण सगो। मगहाविसए अट्ठ मासे उउबद्धे निरुवसग्गं विहरइ। A सत्तमं च वासारत्तं काउकामो आलहियं नाम नयरिं एइ । तत्थवि चाउम्मासखमणाणंतरं वाहिं पारेचा osr-15 गनामसन्निवेसमुवागच्छइ, तहिं च उत्तुंगसिहरस्स महुमहणभवणस्स समुचिए एगदेसे ठिओ काउस्सग्गेण सामी,
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
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