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________________ RECTC-0-60 ६ प्रस्ताव श्रीगुणचंद | संठिया, पच्छा आरक्खियपुत्तेण इओ तओ परिभमतेण चोरोत्ति कलिऊण महल्लभल्लएण आहया, तबेलं चिय धोशातमहावार समुप्पण्णोहिनाणा मरिउं दिवमुवगया, अहासन्निहियदेवनिवहेहि य तेसिं महिमं कीरमाणिं पासित्ता तं पएस रात गओ गोसालो, दिट्ठा य कालगया थेरा, तओ सुहपसुत्ता पडिस्सए गंतूण पडिबोहिया तेसि सिस्सा, निमच्छि-नन्दिता ॥ १९६॥ ऊण साहिओ थेरमरणवइयरो, गओ य सट्ठाणं, जयगुरूवि कुवियसन्निवेसमेइ, तत्थवि चारियत्तिकाऊण गहिओ कृषिकास ६ दंडवासिएहिं, बंधणताडणपमुहकयत्थणाहिं पीडिउमारद्धो य । निवेशे ग्रह अह जिणनाहे तेहिं वहिजमाणे जणे समुल्लावो । जाओ जह देवजो अप्पडिमो रूवलच्छीए ॥ १॥ कह चारिओत्ति गहिओ किं सोऽवि करेज एरिसं कम्मं । अहवा विचित्तरूवा कम्मगई किं न संभवइ १ ॥२॥ तहविहु इमं सुणिजइ जत्थागिति तत्थ निवसइ गुणोहो । ता नूण मूढयाए एए एयं कयत्थंति ॥ ३॥ भोगोवभोगहेउं साहूवि विरूवमत्थमायरइ । जो वत्यंपि न वंछइ स चारियत्तं कहं काही? ॥ ४॥ इय लोयपवायं निसुणिऊण विजया तहा पगम्भा य । पासजिणसिस्सिणीओ तकालविमुक्कदिक्खाओ ॥५॥ निवाहत्थं परिवाइयाए वेसं ससुबहतीओ । मा वीरजिणो होहित्ति संसएगाउलमणाउ ॥६॥ ॥१९६। । गच्छंति तहिं दहण जिणवरं आयरेण वदति । पच्छाऽऽरक्खिगपुरिसे तजंति सुनिद्वरगिराए ॥ ७॥ रे रे किं न हयासा! सिद्धत्थनरिंदनंदणं एयं । धम्मवरचक्वहि सुंचह ? सिग्धं च खामेह ॥ ८॥ ERNAMAmuseme H
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
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