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________________ RECE भणइ-अहो भद्द! कहं भयवं विहरइत्ति, बंभषेण भणियं-देव ! सुणेह, सो जएकनाहो कयाइ फुट्टहासजणियस-15 तासेसु भूयभवणेसु गोदुहियाए दुद्धरं नियमविसेसमालंबिऊण नासग्गसंगिचक्खुविक्खेवो मंदरोध थिमिओ शाण झियाइ, कयाइ करालवेयालमालाउलासु पयंडपडियनरमुंडमंडलीसु सुसाणभूमीसु बीरासणं संलिओ निरुद्धस्माससमीरपसरो सूरविवनिहियनयणो मझंदिणंपि आयावेइ, कयाइ शुरुभारकंतनरोव ईसिजवणयकारण पलं वियभुयदंडो गामवहिया काउस्सग्गेण चिट्ठइ, कयाइ निझारणकुवियपिसागविहियतिबोबसगं सोक्खपरंपर पिन सम्ममहियासेइ, कयाइ छट्टममद्धमासाइतव विशेसपुसियसरीरो पंतकुलपरिममणलढुंछतुच्छासाराहार बहेणार पाणवित्तिं निबत्तेइ। कइयावि हीणरूवेहिं दुसीलेहिं कीडमेत्तेहिं । पागयनरेहिं विहियं विसहा सो विधमुवसग्गं ॥१॥ सा आवयावि मणे निसुणिज्जइ जा जएकदेवरस । दइयञ्च दुन्निवारा नेव समीवं समल्लियइ ॥२॥ एवं किर तस्स महायसस्स उत्थरइ दुत्थिमा भीमा । कइमावि तिवसनिवहा पूयामहिमं पकुवंति ॥३॥ इय नरवर! तचरियं न मारिसो किंपि साहिलं तरइ । तारिसजणचरियाई गुणति जइ तारिसा चेव ॥४॥ एवं निसामिऊण राया सपरिसाजणो दीहरमुकनिस्सासो अच्छिन्ननिवडतबाहापवाहाउलवाणकालो लोग काउमारद्धो ।भणोऽवि गओ सगिहं । समप्पियं तुन्नागरस मोलऽद्धं, सेसदवेण विविहं विलसंतो कालं बोलेइति । mmsnarsum amaante ne A staara m itmeani.tammaNERALIAMERA
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
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