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________________ * -- RITA -- श्रीगुणचंद 6 एत्तो चिय अन्नेहिंवि परपीडावजणमि जइयवं । जहसत्तीए एवं जम्हा सद्धम्मसारोत्ति ॥ १२ ॥ वर्षाकाले महावीरच एवं चेव भगक्या वेरग्गकारणमुबहतेण तिवा पंच अभिग्गहा गहिया, संजहा-अचियत्तारए उग्गहमि न विहारः वसियचं, निचं उस्सग्गं करेयवं, एगदुवयणवजं मोणेण ठाइयचं, पाणिपत्ते भोत्तवं, एगे किर सूरिणो एवं भणंति, ॥ १४८॥ तं च किर कहं ?-सपत्तो धम्मो पनवेयघोत्ति भगवया पढमपारणगे परपत्तंमि भुत्तं, तेण परं पाणिपतमिः जाव छउमत्थोत्ति, गिहत्थो य न अब्भुट्टेयघोत्ति पंचमो, एवं च गहियपंचाभिग्गहो अद्धमासावसाणे तत्तो नीहरित्ता अट्ठियग्गामंमि वचइ, तस्स पुण अट्ठियगामस्स पढमं बद्धमाणनाममासि, तं च किर कह गयंति? निसामेह कारण8 कोसंबीए नयरीए असंखदविणसंचओ धणो नाम सेठ्ठी परिवसइ, तस्स अणेगोवजाइयसएहि परमो धणदेवो । नाम पुत्तो, अचंतं पाणप्पिओ वीसासट्ठाणं च, सो य अन्नया अणेगकुविषष्पदुद्रुसत्तभीसणं समुल्लसंतमयणकुसुमसरं । रंगंततण्हामिगवण्हियापडलं दुबारपसरेदियचोरभयावहं दुरुत्तारमूढयामहानिबगाविसमं अरनं व रउई संपत्तो तारुणं, तबसेण य वसइ वेसागिहेसु रमइ जूयं पइदियह विदवइ अस्थसंचयं, कुणइ विविहे विलासे, उवचरेइ दुल-11 ॥१४ लियगोहि, पोसेइ नडनाडइज्जगायणपमुहं अनिवद्धं जणं, नाऽवेक्खइ कुलमेरं न परिचिंतेइ सयणाववायंति, एवं च वचंतेसु य वासरेसु खीणेसु दवपडिपुण्णमहानिहाणेसु, सुन्नीभूएसु कोडागारेसु चिंतियं धणसेटिणा-अहो । SSSSSSSSSSSSS-0595- -- -- - -
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
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