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________________ रूढरायलोयपरियरिओ मणहरनट्टोवयारकुसलनचंतावरोहसुंदरीवंदनिरुद्धरायमग्गो वजंतमंगलतूररवाऊरियसयलदि सामुहो सिद्धत्थनराहिवेण जेट्टभाउगनंदिवद्धणजुवराएण य अणुगम्ममाणो सिरिवद्धमाणकुमारो सायरमवलोयण-181 दक्खित्तचित्तेण भवणमालातलसंठिएण पुरजणेण दंसिजंतो अंगुलिसहस्सेहिं पुज्जमाणो आसीससएहिं अग्धविज माणो अक्खयसम्मिस्सकुसुमवुद्विवरिसेहिं संपत्तो कमेण विवाहमंडवंति, अह मंडवदुवारेचिय पडिरुद्धो पडिहार। जणेण सामन्नलोओ, पविट्ठो पहाणलोएण समं अभितरंमि, विलयाजणेण ओमिलणपुत्वगं झत्ति विविहं पसाहिया । सा जसोयवररायकन्नावि, तथाहिरमणफलगंमि तीसे आबद्धा पंचरायमणिकंची । अइविच्छिन्ने गयणंगणंमि हरिधणुहलेहच ॥ १ ॥ नयणेहिं कजलुम्मिस्सिरेहिं सइदीहरेहिं निहिं । पञ्चक्खा सरयसरिव सहइ सा नीलनलिणेहिं ॥२॥ कंठतलंमि य तीसे लोलंतो नवसरो वरो हारो। वर्णिदुविब्भमागयतारावलिलीलमुबहइ ॥३॥ तीसे जावयरसपंकपाडलं कोमलं चलणजुयलं । पल्लवजुयं व नजइ वम्महकंकिल्लसाहिस्स ॥ ४ ॥ भालतलंमि य तीसे लिहिओ गोरोयणाएँ वरतिलओ। तह दससु अंगुलीसु आविद्धं मुहियाजालं ॥५॥ इय सविसेसपसाहणपसरंतसरीरकंतिरमणिजं । मंजुमणिनेउरारवसवणागयहंसखलियगई ॥ ६ ॥ मणिकुहिमपडिबिंबियमुहकमला मत्तकुंजरगईए । चलिया चेडीचक्केण परिवुडा सा नरिंदसुया ॥ ७ ॥
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
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