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________________ मरणे नियाणबंधं निवत्तिय सुरसुहं च भोत्तूणं । पोयणपुरे तिविट्ठू परिपालिय वासुदेवतं ॥ २२ ॥ मूयाए पियमित्तो चक्कित्तं संजमं च अणुचरिउं । छत्तग्गाए नंदण नरनाहत्तं च पवजं ॥ २३ ॥ परिपालिय वीसइकारणेहिं तित्थाहिवत्तमजिणिउं । पाणयकप्पा चविडं कुंडग्गामंमि नयरंमि ॥ २४ ॥ सिद्धत्थरायपुत्तो होउं जंतूणमुद्धरणहेउ । सवविरहं पवजिय दुद्दिसह परीस हे सहिउं ॥ २५ ॥ केवललच्छि लहिउं संपत्तो मोक्खसोक्खमक्खंडं । अट्ठहिं पत्थावेहिं सिद्धंताओ तह कहेमि ॥ २६ ॥ द्वादशभिः कुलकम् ॥ अहवा कत्थ भुवणेक्कपहुणो चरियं अम्हारियो कहिं कुकई ? | साहसमिममसममुयहिपवाहतरणाभिलासोव ॥ २७ ॥ तहविहु गुरुजणवयणोवरोहओ मुद्धलोयसुहवोहं । विरएमि चरियमेयं खमियवं एत्थ सूरीहिं ॥ २८ ॥ एत्थ य पत्थुयचरिए नाणाविहसंविहाणगाइने | अमयजल कुलतुले महलकलाणवलीणं ॥ २९ ॥ safe as कंपप्प संगओ किंपि बुडवणाओ । सत्यंतराणुसरणाओं किंपि किर भण्णव अउ ॥ ३० ॥ चरिएयति तहवि हुन संकियवं कहिंपि कुसलेहिं । उवकहपमुहं एत्तो पजतं बहुपसंगेणं ॥ ३१ ॥ विशेषकम् अत्थि समत्थावरविदेहालंकारकप्पकप्पपहु मणिमउडविडंक विविहरयण कंतिविच्छुरियचरणजिणनाह विहरणपसंतडिंवडमरं अमरागारसमुत्तुंग सिंगस मुवहसिय हिमगिरिवरं वरवेरुलियकणयकलहोयपमुह महागर सोहि यवसुंधराभोगं
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
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