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________________ ल ४ प्रस्तावः । SC-4 -60 श्रीगुणचंद गेवि तुह पडिकूलकारी, जओ एसा समुद्धरा रिद्वी तुहायता, एसोऽहं दासनिब्बिसेसो, ता पडिवजसु सामिणीस, समुद्रे शीमहावीरच०/वावारेसु नियबुद्धीए गेहकजेसु एवं परियणंति, सीलमईए भणियं लवत्याः अवसर दिद्विपहाओ निगुर! पाविद्व! धिट ! दुचेट्ट! । अहवा सासनिरोहेण जीवियं लहु चइस्सामि ॥ १॥ ॥१०४॥ रे रे खत्तियकुलसंभवपि आजम्मसुद्धसीलंपि । मं एवमुलवंतो नियजीयस्सवि न लज्जेसि? ॥२॥ AI किंच-खिजउ देहं निहरउ जीवियं पडउ दुक्खरिछोली । नियतायदिन्ननामत्थविहडणं नेव काहामि ॥ ३॥ इय तीए निच्छयमुवलम्भ निवारियं तेण भत्तपाणं, छुहापिवासामिभूयाएवि न परिचतो तीए नियनिच्छओ, एत्यंतरे तीए विसुद्धसीलपरिपालणतुठाए सण्णिहियसमुदेवयाए खित्तं महावते तस्स जाणवतं, को जुगतसमयदारुणो समीरणो, समुल्लासिया कुलसिहरविन्भमा जलकल्लोला, विउवियाई गयणे घोरायाराई गंधवनयराई, सिया गहिरगजिरवभीसणा फुरंतफारविजुपुंजपिंजरा जलहरा, तो वाउलीहूओ कन्नधारो, जाया विहत्था । | सुहडसत्था, ठिया विमणदुम्मणा अवल्लवाहगजणा, वाढं वाउलीभूओ नावावणिओ, एत्यंतरे गयणट्टियाए । जंपियं देवीए रे रे जइ दुट्ठवणियतणय! णयविरहिय हियकाम कामगदह दहणसारिच्छ रिंछोव तुच्छपेच्छय छयलगलथणसमाण | Am२०४॥ माणवजणगरहणिजसील! सीलमई परिसिहसि एवं ता पाव! पावेसि इयाणि विणासंति सोचा पंडुरपडपाउ-- DA
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
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