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________________ -- - - -१ -- - -- - - श्रीगुणचंद एयाए चित्तवित्तिं अवियाणिय जइ वरेज निवपुत्तो । जो वा सो वा आजम्म दुखिया होज ता एसा ॥ २॥ शीलभत्या। महावीरच० इति परिभाविऊण पुच्छिया सा नरवडणा-पुत्ति ! को तुज्झ वरो दिजइ ? किं शुरूषो उपाहु समरंगणसवडंमुह-1 प्रतिज्ञा. तावश सुहडपडिक्खलणपयंडपरकमो किं वा समरभीरुओत्ति, तो ईसि विहसिऊण भणियं तीए-ताओ जाणइ, राणा ॥९२॥ भणियं-पुत्ति! अवरोहकयकजाई न सुहावहाई होति ता सम्ममणुचिंतिय भणसु, तीए भणियं-ताय ! जइ एवं 18 नाता जो एवं कालमेहमाल्लं नियश्यवलेण महियपरकर्म करेजा सो अग वरो होजति, राइणा चिंतियं-अहो वलाणु रागिणी मम तणया, को पुण समत्थो एयस्स वइयरस्स ?, भणिया य सा-पुत्ति ! मा कुणसु एवं, अतुलमलो खु एसो, ता अन्नं वरं पत्थेसु, तीए भणिय-ताय! जइ परं हुयासणो अन्नोति, इस तीए निच्छयमुवलन्म रन्ना पेसिया । सवनरवईणं दूया, निवेयाविओ एस वुरंतो, एयं च अणभुवगच्छमाणा नवइकुमारा एवं पयंपति को बोहेज कयंत ? को वा हालाहलं विसं भक्खे? । को कालमेहमलेण जुज्झिउं सह पवजेजा ? ॥१॥ IPI तेण न कजं रज्जेण किंपि न कजं च तीऍ भजाए। जा लब्भइ खित्तसंसयजीवियचेहिं कटेण ॥ २॥ हा एवं च निभग्गजणमणोरहेहिं असिद्धकजेहिं चेव पडिनियत्तिऊण दूरहिं रण्णो कहिओ मलजुज्झाणब्भुवग-11 हमगम्भो नीसेसनरेसरकुमारवृत्तंतो, तं च सोऊण गाढसोगाउलो जाओ देवसेणनरवई, एत्यंतरे विनत्तो मंतिसाम-1॥९२ ॥ मातेहिं-देव! किमेवं उच्छन्नुच्छाहा होह, अज्जवि देवेण अनिरूविओ चिठुइ कुरुदेसाहिवनरवइसुओ नरविक्कमकुमारो, -- -- - - -- -
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
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