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________________ संतोसं च निसेवह परपरिवायं कयावि माऽऽयरह । ईसरिए मा म(जह मा र)जह पावकजेसु ॥ ८॥ दाणाईसु पयट्टह सेवह सुविसुद्धबुद्धिगा गुरुणो । परउवयारे गिज्झह मा मुज्झह बुझह सततं ॥९॥ Ta एवं च भगवओ धम्मकहमायन्निऊण हरिसुप्फुल्ललोयणेहिं केहिवि परिचत्तपुत्तकलत्तेहिं पडिबन्ना सबविरई, H हिंवि परिग्गहियं सम्मइंसणं, अन्नेहिं अंगीकया देसविरई, अन्ने य छिन्नसंसया जाया वहवे पाणिणो, हलहरनाहायणेहिंवि अणाचक्खणिजं पमोयभरमुबहतेहि पडिवन्नं सम्मत्तरयणं । अह' समइकताए पोरिसीए वंदिऊण जया गया निययावासं । भयपि अन्नत्थ विहरिओ । एवं च वचंतमि काले अचं सुहसागरावगाढरस तिविहराइयो, एगया समागया परिभूयकिन्नरकंठा गायणा, तेहि य पदंसियं गीयकोसल्लं, हरियं हिययं तिविहस्स', अन्नं च-गीउग्गारो तेसिं जस्स मणागपि विसइ सवर्णमि । उज्झियनियवावारो चित्तलिहिउघ सो सुणइ ॥ १ ॥ अच्छउ दूरे एवं तिरियाविहु तेसि गेयवसणेणं । निम्मीलियच्छिगो उच्छहंति नो भोयणाईशु ॥२॥ KI एवंविहसुस्सरयागुणेण हरिस्स ते सयावि पासवत्तिणो परमप्पसायठाणं जाया। II अन्नया य सुसेन्जानिसन्नस्स वासुदेवस्स रयणीसमए समारद्धं तेहिं गेयं, जणिओबादं चित्तस्स अक्रोवो, लिहा ठाणकाले य निरूविओ वासुदेवेण सेज्जावालो, जहा-भद्द! जया मम निदा एइ तया इमे गायणा तुगं विराजेवासि, म देवो आणेवइ तं करिस्सामित्ति पडिबज्जियं सेजावालेणं, खणंतरेग य आगया राइणो निद्दा, तेऽपि अतितनियमित
SR No.010405
Book TitleMahavira Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunchandrasuri
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1929
Total Pages708
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size277 MB
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