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________________ कपि प्रक्षेत्रे दक्ष तुरत सहित फल देत ! दिन हिनौ दिन उग बाई मृत-महाराज, पोशियों के किनारे सिफर का महा की ही है, चारों और हरे हरे झाड सजे है। वह देखिये Heer वालिक को दो सड़के और हाथ लिए आप से मिलने के चार है । उतर - को के साथ हैसियों से कह दो कि साक्षर के सावै ॥ द--दो अज्ञा एक फैल से लेकर बाहर जाता हैट से दोनों कम्पास राजा बाहर जाते हैं । हम [ इसरार-सहाश्रम विश्वामित्र उपय और तक आते हैं। ६ विश्वामित्र - आपको आप ) शुभकाज राकसमा हित करि अस्त्रमंत्र सिखाइये । वैहि रघुकुलere care gae पर दहराइये || करवाइये जब म दिन शुभ चरित श्री रघुवीर स परिणाम लखि सुख बहत चित मतिन्यन कारज भर सो रानी को हमने कहला भेजा था कि आप आप हो यज्ञ कर रहे हैं, ती मावारके अनुसार आएको न्योता दिया जाता है, सो आप सोना और ऊर्मिला को कुशध्वज के साथ भेज दीजिये। इसी को प्रीति ऐसी है कि उसने वैसाही किया । दोनों कुमार - महाराज as sta है जिनसे मिलने को आप जो आगे बढ़ रहे हैं। विश्वातुमने सुना होगा कि निधि कुल के राजा विदेह देश में राज करते हैं । राजत तिनके बस महूँ व सीरध्वज भूप । यासियो जिनहिं पूरन येद अनूप ॥
SR No.010404
Book TitleMahavira Charita Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Sitaram
PublisherNational Press Prayag
Publication Year
Total Pages133
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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