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________________ ' वाला और कूण्डप्राम। __ इस प्रकार भगवान महावीरके कुलके गण-राज्य संघका वर्णन है । अब हम अगाडी वैशाली नगरीका वर्णन मि० लाकी उपयुल्लिखित पुस्तकके आधार परं करेंगे जिसके निकटके कुण्ड ग्राम ( कुण्डलपुर) में भगवान महावीरका जन्म हुआ था। SEEN (१३) ঈহুদী জী লুঙ্ক্ষ । "Time, which entiquates antiquities, and hath an art to mako dust of all things, hath yet spared these minor monuments." . . ---Sir Thomas Browne. जैन शास्त्रोमे वैशाली नगर चेटक (जाकी राजधानी बतलाया गया है। संभव है चेटक महाराज उस नगरके क्षत्रियवंश और अन्य के अधिपति राजा थे और इनका सम्पर्क लिच्छावी गण-राज्य संमसे था। जैसा कि प्रो० भाण्डारकार इन राज्यसंघ मेम्बरोको ऐसा व्यक्त करते हैं। इसी नगरीके पास तीन नगर और भी थे । और भगवान महावरका जन्म स्थान कुण्ड ग्राम अथवा कुण्डलपुर इन्ह मिसे एक था। कुण्डलपुरकी व्यवस्थाका मो सम्बन्ध लिच्छावी गणराज्य संघसे था ऐसा प्रतीत होता है, क्योकि इस संघकी न्याय व्यवस्थाका जो वर्णन दिया है, उससे विदित होता है कि इन क्षत्रिय वंशोमेसे अलग२ प्रतिनिधि आते थे और वे उन कुलोके व अपने आधीन अन्य वर्गों के राजाहोते थे। और यह भी विचारमे रखनेकी बात है कि जैनशास्त्रोंमे महारान
SR No.010403
Book TitleMahavira Bhagavana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages309
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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