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________________ वीर संघका प्रभाव રક wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww सम्बन्ध राजा मिलिन्दसे हो, जो बौद्धग्रन्थके कथनानुसार जैनधर्मानुयायी प्रगट होते हैं । अस्तु, अब्द चलानेके साथ ही साथ उस जमानेके राजाओं और सेठोंने भगवान महावीर और आदि जिन श्री ऋषभदेवके स्मारकमें सिक्के भी चलाए थे, ऐसा प्रतीत होता है। मि० सी० जे० ब्राउन एम० ए०ने अपनी पुस्तक • he Coms of India की प्रथम प्लेटमें सिकोंकी प्रतिमूर्तियोमें ऐसी कई दी हैं जिनमें ऐसे धार्मिक चिन्ह हैं जो जैनधर्मसे सम्बन्ध रखते हैं। हम यहां उनमेसे केवल दोको नं० २ और नं. ५को लेकर इस बातको प्रकट करेंगे कि उन सिकोंपरके धार्मिक चिन्ह भगवान महावीर और आदि जिन ऋषमनाथकी पवित्र स्मृतिको प्रकट करते हैं। मि० बाउन इन सिक्कोंको ईसासे पहिले ६००-३०० में ढले और प्रचिलित व्यक्त करते हैं और इनके विषयों कहते हैं कि:** " Much further detailed Study of these coins will be noeded before anything can be definitely stated about the circumstances in which they were minted " (Page 15.) ___ इससे प्रकट है कि अभीतक आप इन सिकोंके ढलनेके कारणोंको निश्चित नहीं करसके हैं। अस्तु, अब हम उक्त सिक्कोंक चिन्होंका वर्णन करके यह प्रकट करेंगे कि यह सिक्के भगवान महावीरके पवित्र स्मारकमें चालू हुए थे। उस समयकी एवं उससे पूर्वकी धार्मिक घटनाओंको प्रगट करनेवाले धर्मचिन्ह उन घटनाओंकी पवित्र स्मृति बनाए रखनेके लिए लेलिए गए थे। उनसे इसके सिवाय धार्मिक प्रचारका भाव नहीं निकाला जा सका। निस यथार्थ रीतिमें उस धर्म प्रधान जमानेमें धार्मिक घटनाएं
SR No.010403
Book TitleMahavira Bhagavana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages309
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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