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________________ सुधर्माचार्य एवं अन्य शिष्य । ११७ (२) दूसरे गणधर अग्निभूति भी गौतम गोत्रके थे। इनके गणमें भी १०० मुनि थे । (३) तीसरे गणधर वायुभूति, इन्द्रभूति और अग्निभूतिके भाई गौतम गोत्री थे । इनके आधीनगणमें भी ५०० मुनि थे । (४) आर्यव्यक्त चौथे गणधर भारद्वाज गोत्रके थे। इनके गणमें भी १०० सुनि थे । · (९) अग्नि-वैशयायन गोत्रके पांचवें गणघर सुधर्माचार्य थे। इनके आधीन भी ५०० मुनि थे । (६) मण्डिक पुत्र अथवा मण्डित पुत्र वशिष्ट गोत्रके थे; और २९० श्रमणोंको धर्मशिक्षा देते थे । (७) मौर्यपुत्र काश्यपगोत्री भी २५० मुनियोंके गणधर थे। (८) अकम्पित - गौतमगौत्री और (९) हरितापन गोत्रके अचलवृत दोनों ही साथ २ तीनसौ श्रमणोंको धर्मज्ञान अर्पण करते थे । (१०) मैत्रेय और (११) प्रभास कान्डिन्य गोत्रके थे । दोनोंके संयुक्तगणमें ३०० मुनि थे । इन ग्यारह गणधरोंमेंसे केवल इन्द्रभूति गौतम और सुधर्माचार्य भगवानकी निर्वाण प्राप्तिके पश्चात् जीवित रहे थे, अवशेष गणधर भगवानके जीवनकालमें ही मुक्तिको प्राप्त हुए थे। यह सव केवली थे । उपर्युक्त वर्णनसे विदित होता है कि इन गणधरोंके आधीन ४२०० मुनियोके अतिरिक्त मुनि और भी थे जिनकी गणना करके हमको १४००० मुनि बतलाए गए हैं।
SR No.010403
Book TitleMahavira Bhagavana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages309
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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