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________________ भगवान महावीर।. और पराक्रम अतुल था। उन्होने कभी भी हिम्मतको नहीं हारा था, चाहे ऐसे अवसरों पर विशेष शारीरिक शक्ति और मानिसक धैर्यकी आवश्यक्ता क्यों न हो। (See Life of Mahavira P.23-24 ) महावीरचरित्रमें आपके अतुल बल, अपरिमित धीरताका उल्लेखक एक कथानक इस प्रकार दिया हुआ है. "बाल्यशर रखरूपको मैं फिर नहीं हो पाऊँगा ...मानों ऐसा मानकर ही जिन भगवान महान देवोंके साथ क्रीड़ा करते थे। एक दिन बालकों के साथ २ महान् वटवृक्षके उपर चढ़कर खेलते हुए वईमान भगवानको देखकर संगम नामका एक देव उनको त्रास देनेके लिए आ पहुँचा । भयंकर फणवाले नागका रूप रखकर उस देवने शव हो आसपासके दूसरे छोटे २ वृक्षति साथ उन वृक्षक मूलको घेर लिया। वालकोंने ज्यो हो उसको देखा त्यों ही वे गिरने लगे, किन्तु शारहित ये भगवान लीलाके द्वारा उन नागराज नन्तकपर दोनों चरणोंको रखकर गये उतरे। ठीक ही है-चीर पुनको जगनने भयका कारण कुछ भी नहीं है। भगवानकी निर्भयता हट हो गया है चित्त जिसका से उस देवने अपने रूप ममागिता नुवमय पर जलले उनका अभियानाम गा|" (TE२६५)
SR No.010403
Book TitleMahavira Bhagavana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages309
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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