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________________ ८ . भगवान महावीर । विपरीत अब यह पूर्णतया प्रमाणित होगया है कि भगवान महावीर स्वामी कोई देव वा काल्पनिक व्यक्ति नहीं थे, बल्कि एक राजाके पुत्र महान मनुष्य थे। जैसे कि एक विद्वान कहते हैं कि "मैं महावीर भगवानके जीवनसे यही व्यक्त करूंगा कि वे 'मनुप्यावस्थासे परमात्मपद' को प्राप्त हुए थे, न कि "देवावस्थासे परमात्मावस्थाको पहुंचे थे। " यदि यह अन्तिम प्रकार होता तो मैंने महावीरस्वामीके जीवनको छुआ भी न होता, क्योंकि हमलोग देव न होकर मनुष्य है। मनुष्यके अध्ययनके लिए मनुष्य ही सबसे गूद्ध विषय है। मानवसमाजके लिए यही ठीक शिक्षा है और इसीलिए वह देवोंको देवोंके लिए ही छोड़ देगी। यह देवोंको देवों के लिए छोड़नेका भाव हमारेमें पहिलेसे घर किए हुए है। हम इस ओर पूर्णरूपेण प्रयत्नशील हैं कि अपने देवोंको मनुष्योंमें परिणत कर दें। और वह समाज जो अपने देवोंको ऐसा व्यक्त करनेमें अच्छी सफल होगी वही मानवसमाजके लिए विशेष उपयुक्त और स्वीकार करने योग्य होगी। 'अलौकिकता संसारसे दूर हो रही है। यह काग्लायला कहना है। और यह समयका चिन्ह होने के कारण हमें अपनी आत्माको उस चिन्ह तक टठाना चाहिए। अन्यथा हम समयके पीछे रह जायगे।" नियोंक सनस्त नंबर संसारमें चरने पिने मनुयोंके सहग ही थे। वह कोई देव वा मनुष्योपरि व्यक्ति नहीं थे । यद यान जनधमके इस सिद्धान्तसे प्रकट है कि निगोंकि अनुमार मनुष्यगति अतिरिक्त दिन्मी भी दुसरी गनिन मन्य माधनम नहीं करसमा तीजक मानन्धमें नन्ना अबश्य है न किम
SR No.010403
Book TitleMahavira Bhagavana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year
Total Pages309
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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