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________________ (८८ ) कर रात का समय होने से आमेट बाहर अखाड़े में विराजे और प्रातःकाल ठिकाने आमेट से रावतजी गोविन्दसिहजी की तरफ से घोड़े २ चॉदी के साज के कोतल में रखने के लिये व छड़ी १ चॉदी की । ठिकाने की छड़ी मय छड़ीदार हरलाल व १० जवान पुलिस मियानो, नकारखाना, मय नकारचियों के व बैड के भिजवाये । ग्राम आमेट के समस्त महाजन ओसवाल पंच छोटी बड़ी तड़ के व यजमान माद्रेचा, वोहरा और महात्मा जाति के समस्त दर्शनीय अखाड़े पर आये। वहाँ पंच ओसवालों की तरफ से भेंट कर दुशाला श्रोढ़ाया । बाद पंचान को मालिक श्रवण करा फिर मियाने में विराजमान कर छड़ी, चामर, गोटा, चपरास वगैरह कुल लवाजमा ठिकाने के सहित सर्व पंचान के जय-घोष करते हुवे आमेट ग्राम में सरे बाजार होते हुवे पधारे । बाजार में दुकानदार महाजन वोहरा वगैरह खड़े होकर वन्दना करते रहे और सत्यनारायण के पास जलूस सहित का फोटो लिया गया। रास्ते मे जैन मन्दिर जी के दर्शन कर भेंट करते हुवे श्री जैसिंहश्यामजी के मन्दिर दर्शन भेंट कर के पण्डित गुलाबचन्द्रजी कनरसा अवटंकी अग्नि वैश्यायन गौत्र के पोसाल पधारे। वहाँ पंडित रतनलालजी की पोशाल से पं० गुलाबचन्द्रजी की पोशाल तक पगमंडे पर होकर पोशाल के बाहर दरीखाने (जाजम, पछेवडा, गादी मोड़ा लगा हुआ था उस पर विराजे । गुलाबचन्दजी की तरफ से २५) रु० व दुशाला नजर हुआ और चरण-प्रक्षालन व नवांग-पूजा गुलाबचन्दजी ने की और दो २) रु. न्योछावर के किये । लवाजमा वालों को पारितोषिक देकर बिदा किये, फिर पात्या हुआ सो जीमण जीम वहाँ से कोठारी मोड़ीलालजी के बंगले निवास स्थान पर पधारे । शाम को फिर पांत्या हुआ और जीमे । वहाँ फिर
SR No.010402
Book TitleMahatma Pad Vachi Jain Bramhano ka Sankshipta Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaktavarlal Mahatma
PublisherVaktavarlal Mahatma
Publication Year1945
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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