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________________ ( ८१ ) ( नकल ताम्रपत्र) अकुस । स्वस्ति श्री उदेपुर सुथाने महाराजाधिराज माहाराणा श्री भीमसिंहजी आदेशातु भटारक रामचन्द्र कस्य अप्र । उदयपुर मुक्नपुरा में समस्त महाजन सोनी कछारों रे चॅवरी १ प्रत रुपयो १) एक थाहे दीदा जावेगा आगे परवानो महाराणा श्री बड़ा जगतसिंहजी री सही रो संवत् १६८५ रा जेठ सुद १५. भोमे रा दसवासरो सो फाट गयो जणी परवाणे यो परवानो है सो पाया जावेगा। चपरी एक प्रत १) चलण रो पाया जासी दूवे श्रीमुख । संवत् १८५७ वर्षे काति विद ६ रखे उ। मटारक किशोररायजी के शिष्य मोहनलालजी सांडेर गच्छ के रक्खे गये उसको दीक्षा वि० सं० १९७१ दूती वैशाख सुद६ को महोरथ था उस मौके पर नीशाण, हाथी, विरादडी मय करनाला के भेजने तावे राज श्री नहक्मेखास से जरिये हुकम आदी ओल राणावत इन्द्रसिंहजी दारोगा महक्मे फौज के नाम लिखा गया ( राणावत इन्द्रसिंहजी ) भटारक किशोररायजी के चेला मोहनलालजी के दीक्षा को महोरथ दूती वैसाख लुद ६ को है सो नीसाण, करनाला, हाथी, विराटडी आगे याके काम पज्यो वे और भेजा गया वे, जी माफिक अब भी कराय दोगा । संवत् १६७१ का दूती वैसाख मुदी = ता० २२-५-१६१५ ई. द० कामवाला दीक्षा होने पर यारो नाम प्रतापराजेन्द्रसूरिजी दीयो । दीक्षा होने वाद वैशाख सुदी १२ सं० ७१ को इस व्यक्ति के मकान पर पदरावणी हुई उस मौके पर महक्मे फौज के हाकिम के नाम दरख्वास्त वास्तै भिजाने निसाण मय करनालों व हाथी वीरादडी के दी गई । उस पर महक्मे फौज से जरिए रिपोर्ट मवरखा वैशाख सुदी १२ सं० ७१ राज श्री महक्मेखास मे वास्ते हुकम मुनासिब के भेज दरज किया के सं० १९२२ का साल का पना यहाँ
SR No.010402
Book TitleMahatma Pad Vachi Jain Bramhano ka Sankshipta Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaktavarlal Mahatma
PublisherVaktavarlal Mahatma
Publication Year1945
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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