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________________ ( १०५ ) [यूरोसलन के मकान का एक बड़ा कमरा । महात्मा ईसा शिष्यों के साथ बैठे हैं । रात्रि का समय है; भोजन समाप्त ह । चुका है । कृष्ण पक्ष की अँधियारी चारों ओर छाई है ।] पहला शिष्य साम्राज्य की प्रजा में आज बहुत जागृति दिखायी दे रही है । दूसरा शिष्य जागृति आज ! जागृति तो उसी दिन हो गयी थी जब अत्याचारी और क्रूर राजा ने धर्मपिता की हत्या करायी थी ! ईसा ( दूसरे शिष्य से) संयम से काम लो । किसी के लिए भी ऐसे विशेषणों का प्रयोग मत करो जिनसे घृणा या क्षोभ प्रकट हो । दूसरा जिस सम्राट ने धर्मपिता की हत्या करायी उसके प्रति प्रेम ! उसके प्रति दया ! ईसा हाँ. संयम इसी का नाम है । गाल पर थप्पड़ मारने वाले के हाथ सहला दो कि उसके चोट लग गयी होगी । सहनशीलता का विकास आत्मा के ऐसे ही संयम का आधार चाहता है । प्रथम भगवन ! इनी विचारों के अनुसार आचरण करना क्या साधारण जनता के लिए संभव होगा ?
SR No.010395
Book TitleKarmpath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremnarayan Tandan
PublisherVidyamandir Ranikatra Lakhnou
Publication Year1950
Total Pages129
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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