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________________ ( ४३ ) कमल के समान विशाल रमणीय आंख वाली और कमल का शोभायमान सुंदर पंखा है जिसके हाथमें, जिनमें से रसका पानी निकल रहा है लीलासे विना पसीना भी पंखा हिला रही है और अति स्त्रच्छ भरे हुवे मेघ की समान काले ared बाल की चोटी ( वेणी ) वाली और पद्म द्रह में कमल के घरमें श्रीभगती देवी हिमवंत पर्वत के शिखर पर दिशारूप दो हाथियों की पुष्ट सूंडोसे जो स्नान कराती हुई बैठी हैं उसको त्रिशला देवी स्वप्न में देखती हैं. पद्मद्र का वर्णन :- १०५२ योजन १२ कला का हिमवंत पर्वत लम्बा हैं मौर सो योजन का ऊचा सोने का हैं उसके ऊपर दस योजन ऊंडा और ५०० योजन चौड़े और १०० योजन लम्बा वज्र रत्न का तला ऐसे पद्मद्रह अर्थात दीव्य कुंड है उसके मध्यभाग में दो कोसका ऊंचा एक योजन का चोड़ा वर्तुलाकार नील रत्न का दस योजन की नाल वाला वज्र रत्न का मूल रिष्ट रत्न का कुंद लाल सोने के वाहिर के पत्र और जंबूनद (सोने) के भीतर के पचे ऐसा सब से बड़ा एक कमल हैं उस कमल के २ कोसकी चोडी एक कोल की ऊंची रक्त सोने के सरे वाली रक्त सोनेकी कर्णिका है उसके बीच में एक कोस लम्बी आधा कोस चौड़ी कोस से कुछ कम ऊंची ऐसी देवी की वास भूमी है उसमें पूर्व पश्चिम और उत्तर इन तीन दिशाओं में तीन दरवाजे हैं उसके भीतर २५० धनुष की मणी रत्नों की वेदिका है उसके ऊपर श्री देवी के योग्य शय्या है इस मुख्य कमल के चारों ओर श्रीदेवी के आभरण के लिये १०८ कमल हैं उनका माप पूर्व कमल से लम्बाई चोड़ाई ऊंचाई आधी जाननी. उनके आज़ बाजू दूसरे वलय आकार में वायव्य ईशान उत्तर दिशा में ४००० सामनिक देव के ४००० कमल है पूर्व दिशा में ४ महत्तरा देवी के ४ कमल है अग्नी कोण में गुरु पदके अभ्यंतर पदा के आठ हजार कमल है वो ८००० देवताओं के लिये tara कोण में मित्रस्थान के मध्य पर्पा के १०००० देवताओं के १०००० कमल हैं नैऋत्य कोण में किंकर अर्थात् नोकर चाकर समान वाह्य पर्पदा के १२००० देवों के १२००० कमल है पश्चिम दिशा में घोड़ा रथ, पैदल भैसा, गांधर्व, नाटक ऐसी सात प्रकार की सेना के सेनापतियों के सात कमल हैं तीसरे वलय में १६००० अंगरक्षक देवों के १६००० कमल है. चोथे वलय में ३२००००० श्रभ्यंतर अभियोगिके ( आज्ञा पालक ) देवों के ३२००००० कमल है पंचम वलय में ४००००० कमल मध्यम अभियोगिक देवों के हैं. को बत
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
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