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________________ ( ३३ ) लस गुत्तस्स भारियाए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छ खत्तियकुंडग्गामे नयरे नायाणं खत्तियाणं सिद्धस्थस्स खत्तियस्स कासवगुत्तस्स भारियाए तिसलाए खत्तियापीए वासिसगुत्ता कुच्छिसि गन्भत्ताए साहराहि, जेविद्यणं से तिसलाए खत्तियाणीए गन्भे तंपित्र्यणं देवादाए माहपीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिसि मन्भताए साहराहि, साहरित्ता ममेयमापत्तित्र्यं विपामेव पञ्चपिलाहि ॥ २६ ॥ इस समय श्रीमत् श्रीमहावीर प्रभु ऊपर कहे आश्चर्य रूप देवानन्द ब्राह्मणी के कूल में आये हैं और इन्द्र को आचारानुसार अब उन्हें उस गर्भ से नि काल उच्च गोत्र में स्थापन करना चाहिये इसलिये तुम यत्र जाओ और देवानन्दा की कूख में से निकालकर महावीर स्वामी को त्रिशलारानी की कृव में स्थापन करो और त्रिशला के गर्भ को उसके गर्भ में अर्थात उलटा पलटा करो और मेरे कहे अनुसार कर कर मेरे को सूचित करो कि सर्व श्राज्ञानुसार कर दिया. तर से हरिणेगमेसी गांणीयाहिवई देवे सकेणं देविंदे देवरन्ना एवं वृत्ते समाणे हट्ठे जाव हयहियए करयल जावत्तिक एवं जं देवा श्राणवेत्ति आणाए विणणं वयणं पडणे, पडिणित्ता उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं प्रवकमर, श्रवकमत्ता वेव्विसमुग्धारणं समोहण, वेउच्चित्रसमुग्वारणं समोहणित्ता संखिजाई जोश्रणाई दंडं निसिरह, तंजा - रयणाणं वइराणं वेरुलित्राणं लोहियाक्खाणं मसार - गल्लाणं हंसगभाणं पुलयाणं सोगंधियाणं जोईरसाणं अंजणाएं अंजणपुलयाणं रयणाणं जायरूवाएं सुभगाणं काणं फलिहाणं रिट्ठाणं श्रहावायरे पुग्गले परिसाडे, १ परिसाडिश क० २ श्राए क० ५
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
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