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________________ ( २०६) पाणगाई पडिगाहित्तए, तंजहा-तिलोदगं वा, तुसोदगं वा, जबोदगं वा । वासावासं पज्जोसवियस्त अट्ठमभत्तियस्म भिक्खुस्स कप्पंति तो पाणगाइं पडिगाहिला तंजहा-यायामे वा, सोवीरे वा, सुद्धवियडे वा । वासावास पन्जोयवि. यस्स विगिट्ठभत्तियस्स भिक्खस्म कप्पड़ गगे उसिणवियडे पडिगाहित्तए, सेविय णं असित्थे नोविय णं सामित्थे । वासावासं पज्जोसवियस्स भत्तपडियाइक्खियस्त भिक्खुस्म कप्प. इ एगे उसिपवियडे पडिगाहित्तए, सेविय णं अमित्थे नो चेव णं ससित्थे, सेविय णं परिपूए नो चेव णं अपरिपृए. सेविय णं परिमिए नो चेव णं अपरिमिए, सेवित्र णं बहुसंपन्ने नो चेव णं अबहुसंपन्ने ॥ २५ ॥ नित्य खाने वाले को मर जाति के फासु पानी पान को काम नग एकान रीय उपवासी को तीन जाति के पानी को (१) भाटा मे ग्वग्दा इभा पानी (२) पत्ते वगेरह से उकाला पानी, (३) चावल का पोवन कन्ये दो उपनाम नाले के लिये तीन पानी तिल का धावन, तुग का धोवन जगों का धावन फाप लगे, तीन उपवास वाले को सागन का पानी, कांजी का पानी, नगा (जग) पानी उससे भधिक तप करने वाले को सिर्फ उष्ण पानी ही काम लगे और कम पानी में कोई भी जाति का अन्न का अंग नहीं होना चाहिये. अनशन जिसने किया हो और पानी की लूट रखी होगी उपरी गिफ जण जलदी पीने को काम लगे वो पानी अन्न के संश शिना का होना चाहिये भार यो भी दान के पानी लेना चाहिये और वो भी गाम निनना ही पीना अधिक नहीं पीना. वासावासं पज्जोसवियस्स मंखादनियम भिखम्म का प्पति पंच दत्तीयो भांग्रएस्स पडिगाहित्ता पंच पाणगम्म, महवा चत्वारि भोयणस्स पंच पाणगम, श्रया पंन भाय.
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
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