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________________ (११) नववाससया विइक्कंता, दसमस्सय वामसयस अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ ॥ २२८ ॥ तीसरा आरा के जब ३ वर्ष ८॥ मास वाकी रह नव उनका मांस हुआ अर्थात् ऋषभदेव और महावीर के बीच मे १ कोडा कोडी सागरोपम में ४२००० वर्ष कम इतना अंतर है और ६८० वर्ष बाद कल्पमत्र लिखा गया है. ॥सातवां व्याख्यान समाप्त होता है । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवनो महावीरस्स नव गणा, इक्कारस गणहरा हुत्था ॥१॥ से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ-समणस्स भगवयो महावीरस्त नव गणा, इक्कारस गणहरा हुत्था ॥२॥ समणस्त भगवत्रो महावीरस्स जि? इंदभूई अणगारे गोयमगुत्ते णं पंच समणसयाई वाएइ, मज्झिमगए अग्गिभूई अणगारे गोयमगुत्ते णं पंचसमणसयाई वाएइ, कणीअसे यणगारे वाउभूई गोयमगुत्तेणं पंच समणमयाई बाएइ, थेर श्रजिवियत्ते भारदाए गुत्तेणं पंच समसयाई वाएइ, थेरे श्रज्जसुहम्मे अग्गिवेसायणे गुत्तेणं पंच समसयाई वाएइ, थेरे मंडितपुते वासिटे गुत्तेणं अडट्ठाई समणसयाई वाण्ड, थेरे मोरिअपुत्ते कासवे गुत्तेणं अट्ठाई समणसयाई वाएइ. थेरे अकपिए गोयमे गुत्तेणं-घेरे अयलभाया हारिग्रायणे गुत्तणं पत्तेयं एते दुरिणवि थेरा तिरिण तिगिण समणसयाई वाएंति, थेरे अज्जभेइज्जे-धेरै पभसे-एए दुरिणवि थेरा कोडिन्ना गुतेणं तिगिण तिगिण समणयाई वाएंति। से तणद्वेणं भज्जा!
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
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