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________________ (५) पर्युषण पर्व। चार मास एक जगह रहने के लिये क्षेत्रादि के तरह गुण देखना चाहिये (१) जहां मिट्टी से विशेष कीचड़ न हो (२) जहां समुर्छिम जंतु की उत्पत्ति कम हो ( ३ ) जहां थंडिल मात्रा की जगह निर्दोष हो (४) रहने का मकान ऐसा हो कि जिस में ब्रह्मचर्य की रक्षा होती हो ( ५ ) कारण पड़ने पर दूध दही मिल सका हो ( ६) जहां के पुरुष गुणानुरागी और भद्रक हों (७) नहां निपुण भद्रक वैद्य हो (८) औषधि शीघ्रता से योग्य समय पर मिल सती हो (8) गृहस्थी धन धान्य और मनुष्यों से सुखी हों (१०) राजा साधू का रागी हो (११) जैनेतर ( ब्राह्मणादि ) से साधू वर्ग को पीड़ा न हो (१२) समय पर गोचरी मिलती हो (१३) पठन पाठन उत्तम प्रकार से होना हो। जघन्य गुण । जो तेरह गुण वाला क्षेत्र न मिले तो चार गुण तो अवश्य ही शोधना (१) विहार भूमि (जिन मंदिर) नजदीक हो (२) थंडिल की जगह नजदीक हो (३) पठन पाठन अच्छा होता हो (४) भिक्षा अनुकूल मिलती हो । कम से कम ये चार गुण अवश्य शोधना चाहिये । पयूषण पर्व में कल्प सूत्र सुनने का लाभ । दोष के अभाव में चारित्र की निर्मलता रक्सै, ज्ञान की वृद्धि होवे और सम्य दर्शन की स्थिरता होवे और मंद बुद्धि वा अजाण पणे में जो दोप लगे हों वे दूर होजावें क्योंकि कल्प सूत्र में सम्पूर्ण आवारों के पालने वाले तीर्थकर, गणघर, और प्राचार्यों के चरित्र हैं और चौमासे के जो विशेष श्राचार हैं वो इसमें बताये हैं क्योंकि आचार की शुद्धि से सर्व कर्मों की निर्जरा होती है, शुभ भावना होती है, इसलिये इस लोक में पाप से बचाने वाला और परलोक में सुगति देने वाला कल्पसूत्र प्रत्येक पुरुष स्त्री को लाभ दाई है इसलिये उसको सम्यक् प्रकार से सुनना चाहिये । पर्युषण पर्व में आवश्यक कर्त्तव्य । (१) जिन मंदिरों का दर्शन, पूजन, बहुमानता (२) अहम तप करना (३)
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
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