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________________ (६४) जन्म होगा तो हम उस बालक का नाम उसके गुणानुसार (गुणों को मिलता) नान वृद्धि करने वाला वमान नाम रक्खेंगे. आज हमारी यह अभिलाषा पूर्ण हुई है इसलिये आप लोगों के सामने हम इस बालक का नाम वर्तमान रखते हैं. लोगस्स में भी महावीर प्रभु का नाम बद्धमान कहा है. यया-मासंनइ बद्ध माणंच, पार्श्वनाथ और बर्द्धमान ] समणे भगवं महावीरे कासवगुत्तेणं, तस्स णं तो नानामधिज्जा एवमाहिज्जति, तंजहा-अम्मापिउसंतिए वद्धमाणे, सहसमुड़ाए समणे, अयले भयभेरवाणं परीसहोवसग्गाएं खतिखमे पडिमाण पालगे धीमं अरइरहमहे दविए वीरिअसंपन्न देवेहिं से नाम कयं 'समणे भगवं महावीरे ॥१६॥ · श्रयण भगवान् महावीर काश्यप गोत्र के तीन नाम प्रसिद्ध है मात पिता का दिया नाम, वर्द्धमान तप करने की शक्ति से दूसरा नाम श्रमण, और भयभीति में अचल और परिसह उपसर्ग ( दुःख विघ्न ) में धैर्य क्षमा रखने वाले और साधु प्रतिमा ( एक जाति के उत्कृष्ठ तप ) के पूर्ण पालक धी बुद्धि वाले. रति अरति सहन करने वाले द्रव्य (गुणों का स्थान ) पराक्रम वाले, होने से देवों ने नाम रखा, " श्रमण भगवान् महावीर" भगवान् का वीरतत्व का वर्णन । पील पीलोगा ( पेडपर कूदने का ) खेल जब प्रमुवालक थे उस समय परभी महान् तेज वाले थे कमल समान नेत्र वाले कमल समान सुगंधी श्वासो च्छास वाले, बन ऋपमनाराच संघयण वाले, सम चतुरस्त्र संस्थान वाले मुंगे समान होठ वाले दाडिम समान दांत वाले तीन ज्ञानके धारक थे प्रभु वहार खेलने को जाते नहीं थे खेलने भी नहीं थे हांसी भी किसी की नहीं करते थे घरमें ही चैठते थे एक समय माता ने पुत्र के भीतर के गुणों से वाकिफ नहीं होने से कहने लगी कि खेलने को भी बाहर जाओ ! माता को प्रसन्न करने को योग्य सोतियों के साथ खेलने गये और पेडपर चडना और कूदने की क्रीडा (खेल ) करने लगे. .. "
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
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