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________________ ( ८७) लित्तं संघाडगतिगचउकचच्चर चउम्मुहमहापहृपसु सित्तसुइंससंमरत्थंतरावणवीहियं मंचाइमंचकलिश्रं नागाविहरागभूसिप्रज्झयपडागमंडि लाउल्लोइयमहिथं गोसीससरसरत्तचंददद्दर दिन्नपंचगुलितलं उवचियचंदणकलसं चंदणघडसुकयतोरण पडिदुवारदेसभागं श्रासत्तोसत्तर्विपुलवट्टवग्वारियमल्लदामकलावं पंचवरण सरससुर भिमुक्कपुंष्फ पुजोवगारकलिश्रं कालागुरुपवर कुंददुरुक्क तुरुक्कडज्मंतधूवमघमघंत गंधुडुग्राभिरामं सुगंधवरगंध गंधवट्टिभूयं नडनहगजल्ल मल्लमुट्ठियवेलंबगकहपाढगलासगच्या रक्खगलं खमखतूप इल्लतुंबवीणिय गताला यरागुचरिश्रं करेह कारवेह, करिता कारवेत्ता य जू सहस्सं मुसलसहस्सं च उस्सवेह, उस्तवित्ता मम एयमा - पत्तियं पञ्चपिह ॥ ६६ ॥ ॐ , नगर रक्षकों आज आप ( मेरे नगर ) क्षत्रिय कुंड में जितने कैदी हैं। - उन सर्व को कैद से मुक्त करे अर्थात् छोड़द और अनाज घी इत्यादि भोजन की वस्तुएं सस्ती चिकेँ ऐसी आज्ञा देदी ( दुकानदारों को कहदो की सस्ती बेचने से जो नुकसान होगा वह राज कोष से पूरा किया जावेगा और नगर में सर्वत्र सफाई कराके सफेदी कराओ लिपन कराओ और संघाट, त्रिक, चौक, चच्चर, चतुर्मुख महापथ इत्यादि शहर के भागों में सुगंधी जल का छिटकाव कराओ गंदकी दूर कराओ सर्व गलिएं स्वच्छ कराओ हरेक रास्ते के किनारे पर लोग अच्छी तरह बैठ कर देख सकें इसलिये मांचड़े बंधवाओ और सर्वत्र शोभायुक्त कराओ अनेक जाति के रंगों से रंगी हुई और सिंहादिक उत्तम चित्रों से चित्रित ध्वजा पताकाऐं रस्तों पर लगाओ गोवर से लेपन कराकर खडिया से सफेदी ऐसी कराओ जैसे पूजन के लिये कराया हो. गोशीर्ष चंदन, रक्त चंदन, दर्दर चन्दन से ( पहाड़ी) भीतों के उपर छापे लगाओ चंदन कलश पर छांटने छांट कर घरों के चौक में रखाओ और चन्दन छांट कर मट्टी के घड़े रखकर और तोरणें बांधकर घर के दरवाजे शोभायमान बनाओ -
SR No.010391
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikmuni
PublisherSobhagmal Harkavat Ajmer
Publication Year1917
Total Pages245
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size12 MB
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