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________________ जीवामिगमसूत्रे मूलम् - एगोरुय मणुईणं भंते ! केरिलए अगारभाव पडोचारे पन्नत्ते ? गोयमा ! ताओ णं मणुईओ सुजाय सव्वंग - सुंदरीओ पहाण महिलागुणेहिं जुता अच्यंत विसप्पमाण पउम सूउमालकुम्मसंठिया विसिटुचलगा उज्जुमिउय पीवर निरंतर पुटु संहियंगुलीया उष्णमरतियनलिणतबसुईणिद्धणखा रोमरहियवहलटुसंठिय अजहण्ण लक्खण अकोप्प जंघजुयला सुणिम्मिय सुगूढजाणू मंडल सुबद्धसंधी कयलिक्खंभातिरेग संठियणिव्वणसुकुमालन उयकोमल अविरयसम संहित सुजातवहपीवरणिरंतरोरु अट्ठावयवीघीपट्टसंठिय पसंत्थ वित्थिन्न पिहुलसोणी वदणायामप्यमाणदुगुणित विसाल मंसलसुबद्ध जहणवरधारणीओ वजविराइयपसत्थलक्खणणिरोदरा तिवलिबलियतणुणमियमज्झिमाओ उज्जुयसस संहियजच्चतणुकसिण णिद्धआदेजलडह सुविभत्तसुजायकंत सोभंत रुइलर मणिज्जरोमराई गंगावत्तवाहिणात्ततरंग अंगुररविकिरण तरुण बोहिय अकोसायंत पउसवणगंभीरवियडणाभी अणुब्भडपसत्यपीण कुच्छी सपणयपासा संगयपासा सुजायपासा, मितमाइयपीणरइयपासा अकरंडुयकणगरुयग निम्मलसुजायणिरुवहय गायलट्टी कंचनकलससमपमाणसससंहिय सुजायलट्टचूचूय आमेलगजमलजुगलवट्टिय अव्सुण्णयरतिय संठियपयोधराओ भुयंगणुपुत्रतणुयगोपुच्छवह समसंहिय णमिय आएजललियवाहाओ तंबहा मंसलग्ग हत्था पीवर कोमलवरंगुलीओ णिद्धपाणिलेहारविससिख वसोत्थिय सुविभन्न सुइरतियपाणिलेहा पीणुष्णयकक्खवत्थिदेसा पडिपुण्णगल्लकबोला चउरंगुल सुप्पमाण ५१४
SR No.010389
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages929
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size61 MB
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