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________________ प्रमेययोतिका टीका प्र०३ उ. २ ० १४ नरकावासानां वर्णादिनिरूपणम् १९५ सया फासेणं पन्नत्ता' नरकाः कीदृशाः स्पर्शेन प्रज्ञप्ता इति प्रश्नः, भगवानाह - 'गोयमा' इत्यादि, 'गोवमा' हे गौतम! 'से जहाणामए' तद् यथानामकम् 'असिपत्ते वा' असिपत्रमिति वा असिः खनं तस्य पत्रं तद्वत् तीक्ष्णम् 'खुरपते वा' क्षुरपत्रमिति वा क्षुरपत्रम् नापितस्य केशच्छेदकसाधनविशेषः, 'कलंब चिरिया पत्ते वा' कदम्बचीरिकापत्रमिति वा कदम्बचीरिका तृणविशेषः दर्भादपि rata छेदः (area ) इति - लोकप्रसिद्धः | 'सतग्गे वा' शक्त्यग्रमिति वा, शक्तिः प्रहरणविशेषः तदग्रमिति वा 'कुंग्गेइ वा' कुन्ताग्रमिति वा 'तोमरग्रोह वा' तोमराग्रमिति वा कुन्ततोमरावषि प्रहरणविशेषौ तदग्रमिति वा । 'नारायग्गेइ वा' नाराचाग्रमिति वा, 'सलग्गेइ वा' शूलाग्रमिति वा । 'लउलग्गेइ वा' लगुडाग्रमिति वा 'मिडियालग्गेइ वा भिण्डिवालाग्रमिति वा मिण्डिमालः प्रहरणविशेषः तमिति वा 'सूचिकळावे ना' सूचिकलाप इति वा सूचीनां कलापः समूहरयणभाए पुढवीए णरगा केरिया फासे णं पन्नता' हे भदन्त । इस रत्नप्रभा पृथिवी में जो नरक हैं वे किस प्रकार के स्पर्शचाले हैं ? उत्तर में प्रभु करते हैं - 'गोवा ! से जहानाबए अलिपत्ते व ' हे गौतम ! जैसा असिपत्र तलवार का 'खुरपते या' थुरा की धार का 'कलं चीरिया पन्ते वा कदम्बचीरिका पत्र, यह एक नुकीली धारवाला घास होता है उसका 'सत्तग्गेह वा' शक्ति नामके प्रहरण विशेष की धार का 'कुंग्गेइ वा' भालाकी धार का, 'तोमरग्गेह वा' तोमर शस्त्र विशेष की धार का 'नारायग्गेह वा' बाण के अग्र'भाग का 'लग्गेया' शूल के अग्रभाग का, 'लउलग्गेह वा' लगुड के अग्रभाग का 'भिडिवालग्गे वा' भिण्डिवाल के अग्रभाग का, 'सूचिकलावा' सूईयों के समूह के अग्रभाग का, 'कवियच्छूह वा' करें 1 भंते ! रयणप्पभाष पुढवीए णरगा फेरिखया फाणं पण्णत्ता' हे भगवन् भा રત્નપ્રભા પૃથ્વીમાં જે તરા છે. તે બધા કેવા પ્રકારનાં સ્પવાળા હોય છે ? या प्रश्न ना वित्तरमां अलु गौतमस्वाभीने हे हे हे- 'गोयमा । से जहा नामए असिपत्ते वा' हे गौतम! असिपत्र- तलवारना वो स्पर्श होय छे, तेवा तथा 'खुरपत्तेइवा' अस्तरानी धारने। 'कलंत्रचोरियापत्तेर्इ वा' उद्वध्मश्रीરિકા પત્ર એટલે કે આ એક તીક્ષ્ણ ધારવાળા પાનવાળુ ઘાસ હાય छे. ते 'सत्तग्गेइवा' शक्ति नामना आयुध विशेषनी धारने। 'कु' तग्गेइव!' लालानी धारना ‘तोमरग्गेइवा' तोमर नामना शस्त्र विशेषनी धारना 'नारायभ्गेइ वा' मागुना अग्रभागना 'सूरुगोइ वा' शूहना अग्रभागना 'लडलग्गेइ वा' सगुड- साडीना अथलागतो 'भिंडिपालभ्गेइ वा' लिडियसना अभलागने। 'सूचिकलावेइ वा' साधना नूडाना अथभागना 'कवियच्छूह वा'
SR No.010389
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages929
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size61 MB
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