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________________ प्रमेयोतिका टीका प्र २ सू० १९ सामान्यतः पञ्चाल्पवद्दुत्वनिरूपणम् ५९७ गुणा' मनुष्यपुरुषापेक्षया मनुष्यस्त्रियः सख्येयगुणाधिका भवन्ति । ' मणुस्सण पुंसगा असंखेज्जगुणा' मनुष्यनपुंसकाः मनुष्यस्त्रयपेक्षयाऽपि असख्येयगुणाधिका भवन्ति समूच्छिममनुष्यापेक्षया 'रइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा' मनुष्यनपुंसकापेक्षया नैरयिकनपुंसका असख्येयगुणाधिका भवन्ति । असंख्येयश्रेण्या काशप्रदेशराशि प्रमाणत्वादिति । 'तिरिक्खजोणियपुरिसाअसंखेज्जगुणा' नैरयिकनपुंसकापेक्षया तिर्यग्योनिकपुरुषा असख्येयगुणाधिका भवन्ति प्रतरासंख्येयभागवत्सख्येयश्रेणीगताकाशप्रदेशराशिप्रमाणत्वादिति 'तिरिक्खजोणित्थियाओ संखेज्जगुणाओ' तिर्यग्योनिकपुरुषापेक्षया तिर्यग्योनिक स्त्रियः संख्येयगुणाधिका भवन्ति त्रिगुणाधिकत्वादिति । 'देवपुरिसा असंखेज्जगुणा' तिर्यग्योनिकस्त्र्यपेक्षया देवपुरुषा असख्येय गुणा अधिक भवन्ति, प्रभूततरप्रतरासंख्येयभागवर्त्य संख्येयश्रेणीगताकाशप्रदेशराशिप्रमाणत्वादिति ॥ है "मणपुंगा असंखेज्ज गुणा" मनुष्यनपुंसक मनुष्य स्त्रियो की अपेक्षा असंख्यात गुणा अधिक हैं । यह कथन समूच्छिम मनुष्यो की अपेक्षा से है । क्योकि समूच्छिम मनुष्य नियम से नपुंसक ही होते है । " णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा" समूच्छिममनुष्यनपुंसको की अपेक्षा नैरयिक नपुंसक असख्यात गुणे अधिक है. क्योकि इनका प्रमाण असख्यात श्रेणी के आकाश प्रदेशो की राशिके बराबर कहा गया है. “तिरिक्खजोणिय पुरिसा असंखेज्जगुणा' नैरयिक नपुंसको की अपेक्षा तिर्यग्योनिक पुरुष असंख्यात गुणे अधिक है । क्योकि इनका प्रमाण प्रतर के असख्यातवे भाग में रहने वाली जो असख्यात श्रेणियां है उन श्रेणियों में जो आकाश प्रदेशराशि है उसके बराबर कहा गया है । “तिरिक्खजोणित्थियाओ संखेज्जगुणाओ तिर्यग्योनिक पुरुषो की अपेक्षा तिर्यग्योनिक स्त्रियाँ सख्यातगुणी अधिक है । क्योकि इनका प्रमाण पुरुषो की अपेक्षा तिगुना कहा गया है. "देवपुरिसा असंखेज्जगुणा" तिर्यग्योनिकस्त्रियों की अपेक्षा देवपुरुष असख्यात गुणे अधिक है । क्योकि इनका प्रमाण प्रभूततरज्जु 1 'मस्सित्थीओ असंखेज्जगुणा" मनुष्य पुरुषो पुरता मनुष्यस्त्रियो सांध्यात गाणी वधारे छे.', मणुस्स णपुंसगा असंखेज्जगुणा" भनुष्य नयु सो मनुष्य स्त्रियो ४२तां असभ्यात ગણા વધારે છે. આ કથન સ સૃમિ મનુષ્યોની અપેક્ષાથી કહેલ છે. કેમકે--સમૂર્ચ્છસ भनुष्य नियमथी नयु सो होय छे 'णेरइयणपुंसगा असंखेज्जगुणा" सभूभि मनुष्य નપુ સકો કરતાં નૈયિક નપુ સકે! અસ ખ્યાતગણા વધારે છે. કેમકે તેમનું પ્રમાણ અસંખ્યાત श्रेणीना भााश अहेशानी राशिनी मरोभर उडे छे. “तिरिक्खजोणियपुरिसा असंखेज्जगुणा' नैरयि नपुंसो रतां तिर्यग्योनि ३षो यस भ्यातगया वधारे छे. भानु પ્રમાણ પ્રતરના અસંખ્યાતમા ભાગમા રહેવાવાળી જે અસ ખ્યાત શ્રેણિયો છે, એ શ્રેણિયોમ ? आााश प्रदेशराशि छे. तेनी मरोर एडेस छे. “तिरिक्ख जोणित्थियाओ संखेज्जगुणाओ” તિય ચૈાનિક પુરૂષા કરતાં તિય ગ્યોનિક સ્ત્રિયો સંખ્યાતગણી વધારે છે, કેમકે—તેમનું પ્રમાણુ पुरुषो ४रतां त्रागा अडेवाभा मावेस छे. "देवपुरिसा असंखेज्जगुणा" तिर्यग्योनिः स्त्रियो
SR No.010388
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages693
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size44 MB
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