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________________ जीवाभिगमस्त्र प्रिय धागा देवन्धिय देवस्त्रियातुर्विधा' प्रमता, नद्यथा- भवनयानिम्ति मानदेवन्जियः, ज्योतिरकदेस्त्रियो चैमानिकदेवस्त्रियः। यथ कास्ता मानवानिदेय. भयनयाग्निदेवस्त्रियोदशविधाः प्राप्ताः, तपधा-सुरकुमारभव. गापियो पाप स्ननिमकुमारमपन्यासिदेवस्नियः । ता पता भवनवामिदेव. frame र कास्ना यानव्यानरदेवन्त्रियः । नानवयन्तरदेवस्त्रियोऽविधा प्रताः विमानवामनरदेवन्मियो यान् गन्धवानच्यनारदेवम्भिर ना पता चान. मयि | हाता योनिदेवम्नियः ज्योतिष देव स्त्रियः पञ्चविधाः Hanा -मामा योनिदेवप्रिय सूर्य ग्रह नक्षत्र ताराविमानज्योति r: IT पायोनियन्त्रियः मध माता वैमानिकदेवस्त्रिय. ? वैमा. नियमादिविना प्रामाः काया सौधर्म-कल्प मानिकदेवस्त्रियः, ईशानकला यनारायः ना पना बैगानि देवत्रिय इति ॥सु० ॥ टीरा--- Trय जे ने पवारा' नातेपु-नवम् प्रतिपशिपु ये ते मचायां , एवं वक्ष्यIT मायन्ति । तबाह- 'तिविहा संसारसमावनगा जीया गन्ना iu faar मारमापनका . स मारिणो जीदक्ष प्रजमा:-कथिताः । 'ते ए. आर.स ने मनायां उदा - श्यात 'तं जहा तद्यथा - टिन्धी पुरिसा णापुंसगा' रिय. meanimate विविध नामकी हिनीय प्रतिपति बीमार मेद में दो प्रहारलादाली प्रथम प्रतिपत्ति का कथन करके अब दिनार प्रतिपति को प्राते है-- " जे ने एबमा" इत्यादि । मन्त्र ॥१॥ टीजे परमा" नी प्रतिपत्तियों में जिन जानायों में जो ऐगा - निधि मारममावन्नगा जीवा पन्नचा" पसाग जीव तीन प्रकार के " मा," म पिग प्रेमा लापना अभिप्राय प्रकट किया i hamam" पुर मापक दमे ममारी जो तीन नानीbited २३..... नी पगली प्रायनशन या at ... ... . .. १३. Marria ramg" U-या, . . Hr sarit" १५ प्रति नायो aft REET Ea great" - *, - pain ने निभाय मग in - fanfree rai, ५३.५, सी आया,
SR No.010388
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages693
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size44 MB
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