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________________ * श्रीपरमात्मने नमः * जिनवाणी संग्रह 'पहला अध्याय) १ गामोकार मंत्र णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं, णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्वसाहूणं । इस णमोकार मन्त्रमें पांच पद पैंतीस अक्षर, अट्ठावन मात्राएं हैं ॥ २ गामोकार मन्त्रका माहात्म्य णमोकार है मंत्र सर्व पापोंका हर्ता । मंगल सबसे प्रथम यही शुचि ज्ञान सुकर्ता ॥ संसार सार है मन्त्र जगतमें अनुपम भाई । सर्व पाप अविनाश मंत्र सबको सुखदाई ॥ १ ॥ संसार छेदके लिये मन्त्र है सर्व प्रधाना । बिपको अमृत करे जगतने यह सब माना ॥ कर्म नाश कर ऋद्धि सिद्धि शिव सुखका दाता ॥ मंत्र प्रथम जिन मंत्र सदा तू क्यों नहिं ध्याता ॥२॥
SR No.010386
Book TitleJinvani Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatish Jain, Kasturchand Chavda
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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