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________________ [ ४५ निश्चय और व्यवहार ] किये - तब मनुष्य जीव है, नारकी जीव है; इत्यादि प्रकार सहित उन्हें जीव की पहिचान हुई। अथवा प्रभेद वस्तु में भेद उत्पन्न करके ज्ञान-दर्शनादि गुणपर्यायरूप जीव के विशेष किये, तब जाननेवाला जीव है, देखनेवाला जीव है; इत्यादि प्रकार सहित उनको जीव की पहिचान हुई। तथा निश्चय से वीतरागभाव मोक्षमार्ग है, उसे जो नहीं पहिचानते; उनको ऐसे ही कहते रहें तो वे समझ नहीं पायें । तब उनको व्यवहारनय से, तत्त्वश्रद्धान-ज्ञानपूर्वक परद्रव्य के निमित्त मिटने की सापेक्षता द्वारा व्रत, शील, संयमादिरूप वीतरागभाव के विशेष बतलाये; तब उन्हें वीतरागभाव की पहिचान हुई । इसीप्रकार अन्यत्र भी व्यवहार बिना निश्चय के उपदेश का न होना जानना। तथा यहाँ व्यवहार से नर-नारकादि पर्याय ही को जीव कहा, सो पर्याय ही को जीव नहीं मान लेना। पर्याय तो जीव-पुद्गल के संयोगरूप है। वहाँ निश्चय से जीवद्रव्य भिन्न है, उसही को जीव मानना। जीव के संयोग से शरीरादिक को भी उपचार से जीव कहा, सो कथनमात्र ही है, परमार्थ से शरीरादिक जीव होते नहीं- ऐसा ही श्रद्धान करना। तथा अभेद आत्मा में ज्ञान-दर्शनादि भेद किये, सो उन्हें भेदरूप ही नहीं मान लेना, क्योंकि भेद तो समझाने के अर्थ किये हैं। निश्चय से आत्मा अभेद ही है, उसही को जीववस्तु मानना। संज्ञा-संख्यादि से भेद कहे सो कथनमात्र ही हैं, परमार्थ से भिन्न-भिन्न हैं नहीं - ऐसा ही श्रद्धान करना। तथा परद्रव्य का निमित्त मिटाने की अपेक्षा से व्रत-शील-संयमादिक को मोक्षमार्ग कहा, सो इन्हीं को मोक्षमार्ग नहीं मान लेना; क्योंकि परद्रव्य का ग्रहण-त्याग प्रात्मा के हो तो आत्मा परद्रव्य का कर्ता-हर्ता हो जाये। परन्तु कोई द्रव्य किसी द्रव्य के प्राधीन है नहीं; इसलिए प्रात्मा अपने भाव रागादिक हैं, उन्हें छोड़कर वीतरागी होता है। इसलिए निश्चय से वीतराग भाव ही मोक्षमार्ग है । वीतराग भावों के और व्रतादिक के कदाचित् कार्य-कारणपना है, इसलिए व्रतादिक को मोक्षमार्ग कहे सो कथनमात्र ही हैं; परमार्थ से बाह्यक्रिया मोक्षमार्ग नहीं है - ऐसा ही श्रद्धान करना। __ इसीप्रकार अन्यत्र भी व्यवहारनय का अंगीकार नहीं करनाऐसा जान लेना।
SR No.010384
Book TitleJinavarasya Nayachakram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1982
Total Pages191
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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