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________________ १२८ ] [ जिनवरस्य नयचक्रम् विकार और मतिज्ञानादिरूप ज्ञान की अपूर्ण - अल्पविकसितदशा भी है ही, उसे जानना भी आवश्यक है । यदि उसे जानेंगे नहीं तो उसका प्रभाव करने का यत्न ही क्यों करेंगे ? इसप्रकार शुद्धसद्भूत और अशुद्धसद्भूत इन दोनों ही व्यवहारनयों का प्रयोजन स्वभाव की सामर्थ्य और वर्त्तमान पर्याय की पामरता का ज्ञान कराकर, दृष्टि को पर और पर्याय से हटाकर स्वभाव की ओर ले जाना है । - (३) प्रश्न :- शुद्धमद्भूत और अशुद्धसद्भूत व्यवहारनय की बात तो ठीक है, क्योंकि वे तो आत्मा के अंतरंग वैभव का ही परिचय कराते हैं, आत्मा के ही गीत गा-गाकर आत्मा की ओर आकर्षित करते हैं, आत्मा की रुचि उत्पन्न कराते हैं । स्वभाव एवं स्वभाव के आश्रय से उत्पन्न होनेवाली स्वभाव पर्यायों की सामर्थ्य से परिचित कराकर, जहाँ एक प्रोर शुद्धसद्भूतव्यवहारनय हीन भावना से मुक्ति दिलाकर आत्मगौरव उत्पन्न कराता है, वहीं दूसरी ओर अशुद्धसद्भूतव्यवहारनय अपनी वर्त्तमानपर्यायगत कमजोरी का ज्ञान कराके उससे मुक्त होने की प्रेरणा देता है । अतः उनकी चर्चा तो ठीक है; परन्तु शरीर, मकानादि जैसे परपदार्थो से भी आत्मा को प्रभेद बताने वाले असद्भूतव्यवहारनय व उसके भेद-प्रभेदों में उलझने से क्या लाभ है ? उत्तर :- उलझना तो किसी भी व्यवहार में नहीं है । बात उलझने की नहीं, समझने की है । उलझने के नाम पर समझने से भी इन्कार करना तो उचित प्रतीत नहीं होता । विश्व में जो अनन्तानन्त पदार्थ है, उनमें से एकमात्र निज को छोड़कर सभी जड़ और चेतन पदार्थ पर ही हैं । उन सभी परपदार्थों में ज्ञानी आत्मा का व्यवहार और अज्ञानी आत्मा का अहं और ममत्व एकसा देखने में नहीं आता । विभिन्न परपदार्थों के साथ यह प्रात्मा विभिन्न प्रकार के संबंध स्थापित करता दिखाई देता है । उक्त संबंधों की निकटता और दूरी के आधार पर अनुपचरित और उपचरित के रूप में असद्भूतव्यवहारनय का वर्गीकरण किया जाता है । संयोगी परपदार्थों में जो अत्यन्त समीप हैं अर्थात् जिनका श्रात्मा के साथ एकक्षेत्रावगाहसंबंध है, ऐसे शरीरादि का संयोग अनुपचरितअसद्भूतव्यवहारनय का विषय बनता है; तथा शरीरादि की अपेक्षा जो
SR No.010384
Book TitleJinavarasya Nayachakram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1982
Total Pages191
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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