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________________ ९८ ] [ जिनवरस्य नयचक्र "णिच्छित्ती प्रागमदो, सा च पदार्थनिश्चितिरागमतो भवति तथाहि - जीवमेद कर्मभेदप्रतिपादकागमाभ्यासाद्भवति, न केवलमागमा भ्यासात्तथैवागमपदसारभूताच्चिदानन्दकपरमात्मतत्त्वप्रकाशकादध्यात्माभिधानात्परमागमाच्च पदार्थपरिच्छित्तिर्भवति । 'गिच्छित्ती आगमदो' अर्थात् पदार्थों का निश्चय आगम से होता है । इसी बात का विस्तार करते हैं कि जीवभेद और कर्मभेद के प्रतिपादक आगम के अभ्यास से पदार्थों का निश्चय होता है। परन्तु न केवल आगम के अभ्यास मे बल्कि समस्त प्रागम के सारभूत चिदानन्द एक परमात्मतत्त्व के प्रकाशक अध्यात्म नाम के परमागम से भी पदार्थों का ज्ञान होता है।" (१५) प्रश्न :- आपने कहा कि इसीप्रकार द्रव्यास्रवादि को भी समझना चाहिए ; तो क्या जिसप्रकार भावास्रवादिरूप गग-द्वेषादिभावों को पुद्गल कहा जाता है, उसीप्रकार द्रव्यास्रवादि को जीव भी कहा जा सकता है ? यदि हाँ, तो क्या कहीं आगम में भी ऐमा उल्लेख है ? और यदि नहीं है तो क्यों नहीं है ? उत्तर :- जब पुदगलकर्म के उदय के निमित्त से होनेवाले जीव के विकारी भावों को पुदगल कहा जा सकता है तो फिर जीव के विकारी भावों के निमित्त मे होनेवाले द्रव्यास्रवादि को जीव कहने में क्या आपत्ति हो सकती है ? यद्यपि दोनों पक्षों में ममान अपेक्षा है ; तथापि परमागम में रागादिरूप भावास्रवादि को पुद्गल तो कहा गया है, किन्तु द्रव्यानवादिरूप से परिणमित कार्मणवर्गणाओं को प्रागम में जीव नहीं कहा गया है । इसका कारण है कि प्राचार्यों की दष्टि आत्महित की रही है। अतः आत्महित की दृष्टि में अध्यात्म नामक आगम के भेद परमागम में रागादि को पुद्गल तो कहा गया है; परन्तु पुद्गल के हित और अहित की कोई समस्या न होने से 'अधि+यात्म-अध्यात्म' के समान कोई अधिपुद्गल नामक भेद आगम में नहीं है, जिसमें द्रव्यास्रवादि को जीव कहा जाता । यही कारण है कि द्रव्यास्रवादि को जीव कहनेवाले कथन उपलब्ध नहीं होते। इसप्रकार के कथनों का कोई प्रयोजन भी नहीं है और आवश्यकता भी नहीं है। परमागम आगम का ही अंश है, जिसे अध्यात्म भी कहते हैं। अध्यात्म में रंग, गग और भेद से भो भिन्न परमशुद्धनिश्चयनय व दृष्टि
SR No.010384
Book TitleJinavarasya Nayachakram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1982
Total Pages191
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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