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________________ प्रकाशकीय निवेदन श्री चारित्र स्मारक ग्रन्थमालाने इतः पूर्व प्राकृत, संस्कृत, हिन्दी व गुजराती भाषाओंके अनेक ग्रन्थ प्रकाशित किये है और जनताकी सेवामें नाना प्रकारका साहित्य पेश किया है । बहुत अरसेसे हमारी यह कामना थी कि, जैन-जैनेतर जिज्ञासुओंके हाथमें रक्खा जा सके ऐसा जैनधर्म - जैन दर्शन - विषय एक हिन्दी ग्रन्थ प्रकाशित किया जाय । इस ' जिनवाणी ' ग्रन्थको प्रकट करते हुए, हमारी दीर्घकालीन उस कामनाको सफल होती देखकर हम अति हर्ष व संतोपका अनुभव करते हैं। श्रीमान् डॉ. हरिसत्य भट्टाचार्यजी एम. ए., बी. एल., पीएच. डी. जैन साहित्यके गहरे ज्ञाता है । उन्होंने बंगला या अंग्रेजी भाषामें जैनधर्म विषयक छोटे बडे अनेक लेख - निबंध लिखे हैं । उनमेंसे चुने हुए कुछ बंगला ठेखोका गुजराती अनुवाद जैनोंके लोकप्रिय लेखक श्रीमान् सुशीलभाई (श्री. भीमजीभाई हरजीवनदास परीख ) ने करके 'जिनवाणी' नामक ग्रन्थमें संगृहीत किये थे । यह ग्रन्थ उसी ' जिनवाणी 'का शब्दशः हिन्दी भाषान्तर है। अहमदाबाद निवासी श्रीमान् शेठ खेमचन्द प्रेमचन्द मोदीकी संपूर्ण आर्थिक सहायतासे उनकी स्वर्गस्थ धर्मपत्नी श्रीमती मणित्रहिनके स्मरणार्थ यह पुस्तक प्रकाशित की गई है, इस लिये हम उनके बहुत ऋणी हैं। साक्षररत्न श्रीयुत सुशीलभाईने इसका हिन्दी अनुवाद करवानेकी हमें अनुमति दा है और साथ ही ऐसे अन्य लेख गुजराती व हिन्दीमें
SR No.010383
Book TitleJinavani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarisatya Bhattacharya, Sushil, Gopinath Gupt
PublisherCharitra Smarak Granthmala
Publication Year1952
Total Pages301
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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