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________________ विषयानुक्रम प्रकाशकीय निवेदन : ६ । सक्षेपमें : श्रीसुशील : ८ दो शब्द श्रीगोपी नाथजी गुप्त : १२ निदर्शन श्री प. सुखलालजी : १३ १ भारतीय दर्शनों में जैन दर्शनका स्थान : ३ २ जैन दृष्टिसे ईश्वर : २७ ३ जैन दर्शनमें कर्मवाद : ६१ ४ जैन विज्ञान विज्ञान-जड विज्ञान, चिता, अभिनिवोध : ९० श्रुतज्ञान लब्धि, भावना, उपयोग, नय : ९३ नैगम, सग्रह, व्यवहार, अाजुसूत्र : ९४ शब्द, सममिस्ट, एवभूत : ९५ स्याद्वाद द्रव्य धर्म, अधर्म आकाश, काल :८१ • ८२ जीव प्राणविद्या, आत्मविद्या, चेतना : ८४ उपयोग, दर्शन : ८५ शान, मति, (शुद्ध) मति ८६ अवग्रह, ईहा .८७ भवाय, धारणा, स्मृति : ८८ सज्ञा द्रव्य, गुण, पर्याय : ९९ भवधि, मन पर्यव, केवलज्ञान : १०० जीव, भजीव, आयव : १०१ बध, सवर, निर्जरा : १०२ मोक्ष, मोक्षमार्ग, सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान : १०३ सम्यक् चारित्र, उपसहार : १०४ ५ जीव : १०६ ६ जीव-२ : १३० 'एक प्रकारके जीव : १३२ दो प्रकारके जीव : १३४ तीन प्रकारके जीव : १३७ चार प्रकारके जीव : १३८
SR No.010383
Book TitleJinavani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarisatya Bhattacharya, Sushil, Gopinath Gupt
PublisherCharitra Smarak Granthmala
Publication Year1952
Total Pages301
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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